चार पी एम वेटिंग में बंटा विपक्ष,2024 की चुनौती से बाहर - अरविन्द सिसोदिया weting pm

चार पीएम वेटिंग में बंटा विपक्ष,2024 की चुनौती से बाहर  - अरविन्द सिसोदिया

भारत की राजनीति में कांग्रेस गत दो लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में अपने न्यूनतम स्कोर पर चल रही है, उसके पास नेता प्रतिपक्ष बनने के नंबर भी नहीं रहे। इसका मुख्य कारण कांग्रेस की हिन्दू विरोधी एवं मुस्लिम परस्ती की नीति रही। वहीं उसका मूल उद्देश्य ईसाइयत को लाभ पहुंचाने का रहा है।

कांग्रेस नें अपना जनाधार स्व. राजीव गाँधी की सरकार के समय से खोना प्रारंभ किया, जो लोकसभा में फिर से
कभी पूर्ण बहूमत तक नहीं पहुंचा। कांग्रेस की  नरसिंह राव और मनमोहन सिंह दूसरे दलों के समर्थन से सरकार में थीं । वहीं कई अन्य कई प्रधानमंत्री कांग्रेस के समर्थन से बनें। किन्तु इस दौरान कॉंग्रेस सिकुड़ती चली गई और क्षेत्रीय क्षत्रप मज़बूत हुये, नतीजा गठबंधन की अस्थिर राजनीति में देश फंस गया और देशहित के सभी कार्य बाधित हुये।

2004 से 2014 तक का कार्यकाल कांग्रेस को काल बन गया, क्योंकि इस दौरान बेहद कमजोर और भ्रष्टाचारीयों की जी हजूरी करने वाले प्रधानमंत्री नें जनता का न केबल विश्वास खोया बल्कि, सरकार को आतंकवादीयों की पक्षधर साबित किया और हिन्दू विरोधी प्रमाणित किया। इस दौर में कांग्रेस युवराज अमेरिका के राजनायिक से हिन्दू आतंकवाद को अधिक खतरनाक बताते सुने गये, जिसका खंडन भी कभी कांग्रेस नें नहीं किया। नतीजा राष्ट्रवादी समाज की नजर से कांग्रेस न केवल उतर गईं बल्कि वह जनता का पूरी तरह विश्वास खो बैठी।

क्षेत्रीय क्षत्रप मुलायम सिंह, मायावती, लालू प्रसाद, नितीश कुमार, नवीन पटनायक, ममता बेनर्जी, महबूबा मुफ़्ती, फारुख अब्दुल्लाह, अरविन्द केजरीवाल,शरद पँवार, उद्धव ठाकरे, dmk, ऐडीएमके, jmm, शिरोमणि अकाली, समयवादी समूह सहित एक लंबी फेहरिस्त है, जिसनें कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया। कई दल तो कांग्रेस से ही बाहर निकले नेताओं नें ही बनाये।

वर्तमान में विपक्ष का तोल मोल, हाल ही में 30 जनवरी को श्रीनगर में सम्पन्न हुई भारत जोड़ो यात्रा का समापन समारोह रहा। जिसनें 23 विपक्षी दलों को आमंत्रण भेजा सम्मिलत हुये मात्र 8, इससे कांग्रेस की पोल खुल गई, वहीं विपक्षी एकता को जबरदस्त झटका लगा है। विपक्ष की यह दरार आगे भी भरने वाली नहीं है। यही हाल कांग्रेस से असंतुष्ट चल रहे नेताओं का भी रहा।

इस समय आगामी प्रधानमंत्री प्रत्याशी के तौर पर विपक्ष में राहुल गाँधी से अधिक लोकप्रियता में पश्चिम  बंगाल की तीनवार से मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी आगे हैं, वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राहुल गाँधी से बहुत वरिष्ठ हैं। यही बात नवीन पटनायक की भी  है किन्तु वे पी एम दौड़ में नहीं हैं। इसी तरह के.चंद्रशेखर राव और अरविन्द केजरीवाल के मन में भी लड्डू फूट रहे हैं। मोटे तौर पर राहुल गाँधी, ममता बनर्जी, नीतीश कुमार और के. चंद्रशेखर राव तो स्पष्ट प्रयत्नशील दिख ही रहे हैं। विपक्ष की स्थिति एक अनार सो बीमार की तरह है।
राहुल के हाथ में यदि यूपी बिहार उड़ीसा बंगाल नहीं है आंध्र तेलंगाना नहीं है तो सीटें कहां से आएँगी।

राहुल गांधी अभी भी यूपी से सीट हार हैं व ईसाई मतदाताओं की कृपा से लोकसभा में केरल से हैं। उन्होंने भले ही एक लंबी यात्रा निकाली और अपने को हिन्दू साबित करने की कोशिश की मगर, देश के गले बहुत कुछ उतरा नहीं है। देश उन पर विश्वास कई स्थिति में नहीं आया।

दूसरी तरह वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर जनता में कोई विरोध नहीं है। उनकी लोकोप्रियता में इजाफा ही हुआ है। मोदी नें कोविड मैनेजमेंट में कुशलता का प्रदर्शन किया,देशवाशियों में आत्मविश्वास भरा, वहीं एक कारगर एवं रामबाण वेक्सीन की खोज करवाई व उससे देश के करोड़ों देशवासियो का जीवन सुरक्षित किया।

कोरोना के बाद तमाम दुनिया में बड़े बड़े देश धराशाही हुये, लेकिन भारत मज़बूत बनके उभरा। वह न चीन की तरह तबाह हुआ, न बार बार के लॉक डाउन में फंसा। न हि अमेरिका, ब्रिटेन की तरह अस्तव्यस्त हुआ, न उसके यहाँ श्रीलंका पाकिस्तान की तरह भुखमरी की त्राहि त्राहि है।अन्य मामलों में भी मोदी मजबूत बन कर ही उभरे हैं।

 इसलिए 2024 के आम चुनाव से पहले ही विपक्ष अपने चार वेटिंग प्रधानमंत्रीयों के साथ आउट हो गया है।

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

अटलजी का सपना साकार करते मोदीजी, भजनलालजी और मोहन यादव जी

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

रामसेतु (Ram - setu) 17.5 लाख वर्ष पूर्व

सफलता के लिए प्रयासों की निरंतरता आवश्यक - अरविन्द सिसोदिया

हम ईश्वर के खिलोने हैँ वह खेल रहा है - अरविन्द सिसोदिया hm ishwar ke khilone

माता पिता की सेवा ही ईश्वर के प्रति सर्वोच्च अर्पण है mata pita ishwr ke saman

स्वामी विवेकानंद और राष्ट्रवाद Swami Vivekananda and Nationalism