स्वतंत्रता के साथ समानता का भाव लाना जरूरी - भागवत RSS Chif Mohan Bhagvat

स्वतंत्रता के साथ समानता का भाव लाना जरूरी - भागवत

जयपुर।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने केशव विद्याापीठ, जयपुर में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में अपने संबोधन में कहा कि ' संविधान सभा की सर्वसम्मति से बने संविधान का लोकार्पण करते हुए बाबासाहब भीमराव अम्बेडकर ने कहा था, अब देश में कोई गुलामी नहीं है,अंग्रेज भी चले गए लेकिन सामाजिक रूढ़िवादिता के चलते जो गुलामी आई थी, उसको हटाने के लिए राजनीतिक समानता व आर्थिक समानता का प्रावधान संविधान में कर दिया गया है। इसलिए गणतंत्र दिवस पर  बाबासाहेब के संसद में दिए गए दोनों भाषणों को पढ़ना जरूरी है। "

उन्होंने कहा, '15 अगस्त 1947 के बाद 26 जनवरी 1950 तक का जो कालखंड है, अगर इसका स्मरण किया जाए तो हमको स्पष्ट हो जाता है कि हमें क्या करना है। हम इन दोनों दिनों पर तिरंगा उत्साह और स्वाभिमान से फहराते हैं। उस तिरंगे में ही हमारा गंतव्य निहित है। हमको भारत को भारत के नाते दुनिया में बड़ा करना है।'

भागवत ने कहा,  बाबा साहेब ने कर्तव्य परायण पथ बताया। स्वतंत्रता के लिए अन्यों की स्वतंत्रता का ख्याल रखना जरूरी है। इसीलिए समता होना जरूरी है। स्वतंत्रता व समानता एक साथ पाने के लिए बंधुभाव लाना जरूरी है। संसद में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत वैचारिक मतभेद होते हैं। इसके बावजूद बन्धुता का भाव प्रबल हो तो समानता व स्वतंत्रता की स्थिति बनी रहती है।


 स्वतंत्रता के बाद अपना पथ निश्चित करने के लिए संविधान बनाया गया और इसी गौरवशाली दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। तिरंगा दोनों दिवस पर ही फहराया जाता है। इसका केसरिया रंग सनातन के साथ ज्ञान की परम्परा व सतत कर्मशीलता का प्रतीक है। कर्मशीलता के प्रणेता सूर्योदय का यही रंग है। गणराज्य के नाते हम अपने देश को ज्ञानवान व सतत कर्मशील लोगों का देश बनाएंगे। सक्रियता,त्याग व ज्ञान की दिशा मिलनी जरूरी है। शक्ति को दिशानिर्देशित करने के लिए ध्वज ने सफेद रंग धारण किया हुआ है। यह रंग हमें एकजुट करता है। हरा रंग समृद्धि एवं लक्ष्मी का प्रतीक है। पर्यावारण क्षरण न हो, वर्षा संतुलन की कामना पूरी हो ऐसा होने से मन समृद्ध रहता है। मानस में 'सर्वे भद्राणि पश्यन्तु'...का भाव जन्म लेता है। विविधतायुक्त समाज को संगठित रखते हुए अगले गणतंत्र दिवस तक हम कितना आगे बढेगें इसका संकल्प लेना चाहिए।

इससे पूर्व विद्याालय द्वारा देश भक्ति गीतों पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां घोष वादन व  संचलन का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्ज्वलन व राष्ट्रगान के साथ हुआ एवं समापन राष्ट्रगीत वंदेमातरम के सामूहिक गाान के साथ हुआ।

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