झारखण्ड सरकार अदृश्य हाथों से मुक्त हो, श्रीसम्मेद शिखरजी की पवित्रता की रक्षा करे - अरविन्द सिसौदिया pavitr Sammed Shikhar ji

श्रीसम्मेद शिखरजी

झारखण्ड सरकार अदृश्य हाथों के बंधन से मुक्त हो, श्रीसम्मेद शिखरजी की पवित्रता की रक्षा करे - अरविन्द सिसौदिया


Jharkhand government should first strengthen the law and order regarding the sanctity of Shri Sammed Shikharji - Arvind Sisodia

 
झारखण्ड सरकार सबसे पहले , श्री सम्मेद शिखरजी की पवित्रता को लेकर कानून व्यवस्था पुख्ता करे - अरविन्द सिसौदिया

- अरविन्द सिसौदिया कोटा , राजस्थान 9414180151

श्रीसम्मेद शिखरजी की पवित्रा की सुरक्षा न केवल महत्वपूर्ण मुद्दा है, बल्कि इससे अन्य लाखों धर्मस्थलों की पवित्रता एवं सम्पत्ती सुरक्षा का रास्ता निकलेगा। इसलिये यह मामला असामान्यरूप से महत्वपूर्ण हो गया है। जब भी कोई निर्णय दूसरे पक्ष को सुने बिना लिया जाता है, तो उसमें खमियां उभर कर आती ही हैं। केन्द्र या राज्य सरकार के मन में कोई खोट नहीं हो तो भी अब जो सामनें तथ्य आ रहे हैं। उनक पर तुरन्त और गंभीर संवेदनशीलता से विचार होना चाहिये।

भाजपा के सांसद एवं मंत्रीगण संवेदनशील नजर आ रहे हैं, वहीं कमसे कम गत छै महीनों से पूरे देश में गूंज रहे इस प्रकरण पर , स्थानीय सरकार मौन किस कारण से है। झारखण्ड सरकार को किन अदृष्य हाथों ने पकडा हुआ है। वह पीछे खींची हुई , बेमन सी क्यों नजर आ रही है। उनके मुख्यमंत्री के द्वारा यह कहना कि मुझे ठीक से इस विषय की जानकारी नहीं है, यह स्वयं सिद्ध करता है कि उनकी संवेदनशीलता में बेहद कमीं है। उनकी सरकार की पार्टनर कांग्रेस पूरी तरह से मौन साधे है।

जब कि झारखंड के वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने स्वयं कहा है कि “ जैन समुदाय के सदस्यों की भावनाओं का सम्मान किया जाएगा,”  यह कहते हुए कि पवित्र स्थल के संबंध में किसी भी निर्णय पर आने से पहले इस मुद्दे पर फिर से चर्चा की जाएगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार ने “ क्षेत्र के लाभ” के लिए निर्णय लिया । यह वक्तव्य बताता है कि झारखण्ड सरकार को सब कुछ अच्छे से मालूम है।

अदृश्य हाथ ....
झारखण्ड की राजनैतिक स्थिती दर्शाती है कि वहां झारखण्ड मुक्ती मोर्चा एवं कांग्रेस की संयुक्त सरकार है, कहीं न कहीं सरकार के भागीदार कांग्रेस
से इसमें अड़चन महसूस हो रही है। वहां 2019 में हुये विधानसभा चुनावों में 81 विधायकों के सदन में 51 सदस्यों का गठबंधन शासन कर रहा है, जिसमें झारखण्ड मुक्ती मोर्चा के पास 30 और कांग्रेस के पास 18 सीटें प्रमुखरूप से हैं। वहीं विपक्ष में भाजपा मुख्यपार्टी है जिसके पास 26 सीटें है। किन्तु भाजपा के पास 14 में से 11 सांसद है वहीं झारखण्ड मुक्ती मोर्चा मात्र 1 है। इससे स्पष्ट है कि हेमन्त सोरन के मुख्यमंत्रीत्व वाली झारखण्ड सरकार कोई भी निर्णय कांग्रेस के बिना नहीं ले सकती। जब तक कांग्रेस इसमें आगे आकर कुछ नहीं कहती, तब तक यह मामला लटका महसूस हो रहा है। हलांती केन्द्र सरकार अपनी अधिूसचनायें वापस ले भी ले तो भी । कानून व्यवस्था का पहलू , जो कि प्रमुख पहलू है। वह राज्य सरकार पर ही निर्भर करता है।

झारखण्ड सरकार अदृश्य हाथों के बंधन से मुक्त हो, तो ही पवित्रता की रक्षा हो सकेगी।

जब ईसाई पंथ की वेटीकन सिटी को महत्वपूर्ण और सर्वोच्चा प्रदान करने एक स्वतंत्र देश का दर्जा के कर पवित्रता सुरक्षित की गई है, इस्लामिक पवित्रस्थल मक्का की पूर्ण सुरक्षा तय प्रक्रिया से होती है। तो  जैन समुदाय के सबसे उच्च तीर्थ स्थल को पवित्रता प्रदान क्यों नहीं की जा सकती। हिन्दू धर्म के सभी प्रमुख तीर्थ क्षेत्रों की पवित्रता एवं सुरक्षा को सुनिश्चित करने वाला केन्द्रीय कानून आवश्यक है।

प्रथम दृष्टया जो दिख रहा है वह यह है कि इसके पर्यटन स्थल घोषित होनें से पर्यटन गतिविधियां बडेंगी, इस कारण पर्यटन माफिया, भूमाफिया, शराब माफिया, अतिक्रमण उद्योग से जुडे लोग सक्रीय हो गय है। इसकारण वहां अनैतिक गतिविधियां भी बडीं है। यह कानून व्यवस्था का मुद्दा है, इससे राज्य सरकार पीछे नहीं हट सकती । हो सकता है कि इन अवैधानिक क्रिया कल्पापों के पीछे धन - सम्पत्ती बनानें की इच्छा से लोकल पोलिटिक्स भी संलिप्त हो। इसलिये पवित्रता की रक्षा के लिये बडी जागरूकता एवं कठोर अनुशासन राज्य सरकार को रखना ही होगा ।

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pavitr Sammed Shikhar ji

मीडिया में प्रकाशित रिपोर्टस् -

Jharkhand News: केंद्र ने झारखंड से सम्मेद शिखर जी पर फिर से विचार को कहा, पर्यटन स्थल बनाने का हो रहा है विरोध
Shri Sammed Shikhar ji: यह स्थान जैन धर्म के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है. जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकर भगवान और असंख्य महामुनिराजों ने इसी पवित्र भूमि से तपस्या कर निर्वाण प्राप्त किया है.
 Updated at : 24 Dec 2022
central government asked Jharkhand government to reconsider Shri Sammed Shikhar ji Jharkhand News: 

केंद्र ने झारखंड से सम्मेद शिखर जी पर फिर से विचार को कहा, पर्यटन स्थल बनाने का हो रहा है विरोध
नई दिल्ली: केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने शुक्रवार को झारखंड सरकार को पत्र लिखकर पारसनाथ अभयारण्य के संबंध में जैन समुदाय से प्राप्त प्रतिवेदन पर प्राथमिकता के आधार पर विचार करने को कहा है.झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ियों पर स्थित सम्मेद शिखरजी जैन समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थ है.जैन समुदाय के सदस्य पारसनाथ पहाड़ियों में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के राज्य सरकार के कदम का विरोध कर रहे हैं.पर्यावरण मंत्रालय ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव के बाद अगस्त 2019 में पारसनाथ अभयारण्य के आसपास एक पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र अधिसूचित किया था और पर्यावरण-पर्यटन गतिविधियों को मंजूरी दी थी.

जैन समुदाय कर रहा है विरोध
वन महानिदेशक सीपी गोयल ने झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को लिखे पत्र में शुक्रवार को कहा कि मंत्रालय को जैन समुदाय और अन्य लोगों से कई आपत्तियां मिल रहीं हैं. इनमें उल्लेख किया गया है कि पारसनाथ अभयारण्य जैन आध्यात्मिकता का पवित्र केंद्र है. उक्त ईएसजेड अधिसूचना में शामिल कुछ विकासात्मक गतिविधियों ने उनकी भावनाओं को आहत किया है.जैन समुदाय ने इन गतिविधियों को अधिसूचना से बाहर किए जाने का अनुरोध किया है.

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Sammed Shikhar: देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे जैन समुदाय के प्रदर्शनों की क्या है वजह? एक क्लिक में समझें पूरा मामला
Jain Community Protests: देश के अलग-अलग हिस्सों में जैन समुदाय के लोग सम्मेद शिखरजी को इको-टूरिस्ट प्लेस घोषित करने के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. जानें इनके मंदिरों का क्या महत्त्व है.

Updated at : 05 Jan 2023


Sammed Shikhar What is reason for protests by Jain community in different parts of country Sammed Shikhar: देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे जैन समुदाय के प्रदर्शनों की क्या है वजह? एक क्लिक में समझें पूरा मामला

Jharkhand Jain Shrines: गिरिडीह जिले में पवित्र श्री सम्मेद शिखरजी को इको-टूरिस्ट प्लेस घोषित करने के झारखंड सरकार के ताजा फैसले के खिलाफ दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद सहित कई शहरों में जैन समुदाय के लोग सड़कों पर उतर गए हैं. राजधानी में रविवार को भारी जाम लगा और प्रदर्शनकारियों ने इंडिया गेट को जाम कर दिया. उन्होंने अपनी शिकायत के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
से मिलने की मांग की, जिससे पुलिस को शाम तक कई लोगों को हिरासत में लेने और रिहा करने के लिए मजबूर होना पड़ा. जैन समुदाय के सैकड़ों सदस्यों ने अहमदाबाद और मुंबई में भी समानांतर रैलियां कीं, गुजरात के भावनगर जिले में पवित्र शत्रुंजय पहाड़ियों को कथित रूप से असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. आइए इस मामले पर करीब से नज़र डालते हैं और मंदिरों के महत्व को समझते हैं.

सम्मेद शिखरजी पवित्र तीर्थस्थलों में से एक
झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ियों पर स्थित, श्री सम्मेद शिखरजी को जैनियों के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है. धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इसका इस्तेमाल करने का राज्य सरकार का फैसला समुदाय के साथ अच्छा नहीं रहा है, जो मानते हैं कि यह साइट की पवित्रता को प्रभावित करेगा. दिल्ली के ऋषभ विहार में 26 दिसंबर से कथित तौर पर विरोध प्रदर्शन चल रहा है.

तीर्थस्थल दिगंबर और श्वेतांबर के लिए महत्वपूर्ण
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, तीर्थस्थल दिगंबर और श्वेतांबर दोनों संप्रदायों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 24 में से 20 जैन तीर्थंकरों के साथ-साथ भिक्षुओं ने भी इस स्थान पर मोक्ष प्राप्त किया है. झारखंड सरकार ने पिछले साल जुलाई में शुरू की गई अपनी पर्यटन नीति के हिस्से के रूप में साइट को पर्यटन स्थल में बदलने के निर्णय की घोषणा की थी. नवंबर में, समुदाय ने झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर प्रशासन से श्री सम्मेद शिखरजी मंदिर को केवल एक पवित्र स्थान घोषित करने का आग्रह किया था, क्योंकि इसे जैन धर्म का सर्वोच्च तीर्थस्थल माना जाता है. हालांकि, अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

विश्व हिंदू परिषद का समर्थन
द हिंदू के अनुसार, विश्व हिंदू परिषद ने जैन समुदाय को अपना समर्थन दिया है और कहा है कि विहिप भारत में सभी तीर्थ स्थलों की पवित्रता की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित है. वीएचपी ने अपने बयान में कहा, "क्षेत्र को एक पवित्र क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए और मांस और ड्रग्स से जुड़ी कोई भी पर्यटक गतिविधि नहीं होनी चाहिए." एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने भी झारखंड सरकार को अपना फैसला वापस लेने की बात कहकर विरोध का समर्थन किया है.


पालीताना मंदिर में तोड़फोड़
शत्रुंजय हिल्स के पलिताना में एक मंदिर की सीढ़ियों और खंभे को तोड़ते हुए बदमाशों के सीसीटीवी टीवी फुटेज सामने आने के बाद अहमदाबाद में विरोध प्रदर्शन किया गया. जैन समुदाय के सदस्यों ने आरोप लगाया कि शत्रुंजय हिल अवैध खनन गतिविधियों, शराब के अड्डों और अवैध अतिक्रमण का स्थल बन गया है. शेत्रुंजी नदी के तट पर स्थित, पलिताना शहर के पास का स्थान 865 जैन मंदिरों का घर है और श्वेतांबर जैनियों के लिए पवित्र माना जाता है. समग्र जैन श्वेतांबर के प्रणव शाह ने कहा, विशेष रूप से, समुदाय के सदस्यों ने गुजरात के विभिन्न हिस्सों में 85 से अधिक रैलियां की हैं, जब से एक जैन संत के "चरण पादुका" को पिछले साल 26 नवंबर को पहाड़ियों पर एक मंदिर में तोड़ दिया गया था.

उनके अनुसार, समुदाय ने जिला कलेक्टर कार्यालय में मांगों की सूची के साथ एक ज्ञापन भी सौंपा. शाह ने पीटीआई-भाषा से कहा, ''पहाड़ियों में खनन और जमीन हथियाने जैसी सभी अवैध गतिविधियों को रोका जाना चाहिए और अवैध निर्माण को हटाने के लिए पहाड़ियों की मैपिंग की जानी चाहिए - ये हमारी मुख्य मांगें हैं.''

पीएम मोदी से किया ये आग्रह
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अल्पसंख्यक समुदाय ने राष्ट्रपति मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र सौंपा, जिसमें दोनों घटनाओं पर नाराजगी व्यक्त की और शीर्ष नेताओं से श्री सम्मेद शिखरजी मंदिर को पर्यटन स्थल में परिवर्तित नहीं करने का आग्रह किया. एएनआई के मुताबिक, पलिताना मंदिर के कथित अपमान के खिलाफ मुंबई और भोपाल में समानांतर रैलियां निकाली गईं. एएनआई ने महाराष्ट्र के मंत्री एमपी लोढ़ा के हवाले से कहा. “हम पलिताना में मंदिर की तोड़फोड़ और झारखंड सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं. गुजरात सरकार ने कार्रवाई की है लेकिन हम उनके (जिन्होंने मंदिर में तोड़फोड़ की) सख्त कार्रवाई चाहते हैं. आज पांच लाख से अधिक लोग सड़कों पर हैं.”

झारखंड सरकार का क्या कहना है?
रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क से बात करते हुए, झारखंड के वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि "जैन समुदाय के सदस्यों की भावनाओं का सम्मान किया जाएगा," यह कहते हुए कि पवित्र स्थल के संबंध में किसी भी निर्णय पर आने से पहले इस मुद्दे पर फिर से चर्चा की जाएगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार ने "क्षेत्र के लाभ" के लिए निर्णय लिया, हालांकि, चूंकि यह अल्पसंख्यक समुदाय की भावनाओं को आहत कर रहा है, इस मामले पर फिर से चर्चा की जाएगी.

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