दो हजार के नोट बंद हो, नोट बंदी होती रहे,अचल सम्पत्ती भी आधारकार्ड से जुडे़ Property should also be linked to Aadhaar card
दो हजार के नोट बंद हों, नोट बंदी होती रहे,बहूमूल्य एवं अचल सम्पत्ती भी आधारकार्ड से जुडे़
2000 notes should be stopped, note ban should continue, valuable and immovable property should also be linked to Aadhaar card
मेरा मानना है कि मोदी सरकार ने पुरानें 500 और 1000 के नोट बंद किये थे, वे बिलकुल सही थे और इससे बहुत बडी राशी जो बिना हिसाब किताब की थी वह बैंकों तक तो पहुंची ही साथ ही नकली नोटों की बडी समस्या जो पडौसी देश ने उत्पन्न की हुई थी। उस पर काबू पाया गया । जिससे टेरर फंडिंग पर काफी रोक लगी और कम से कुछ वर्षों तक टेरर फंडिग ध्वस्त किया जा सका । पाकिस्तान में समानांतर भारतीय मुद्रा छप रही थी। माना जाता है कि तब नकली नोट 50प्रतिशत राशी में बाजार में चलानें के लिये उपलब्ध भी थे।
आतंकवादी, उग्रवादी एवं माओवादीयों सहित नशे के कारोबार में समानान्तर मुद्रा कॉफी चलन में रही है। मगर नोटबंदी के कठोर निर्णय से एक छटके में वे सब औंधे मुंह जा पडे थे। अव्यवस्था पर रो क गली थी, जनता ने मोदी सरकार को बाद के चुनावों में भारी समर्थन देकर निर्णय सही होनें पर मोहर लगाई। वहीं माननीय सर्वोच्च न्यायालय नें 4-1 के बहूमत से मोदी सरकार के निर्णय को सही करार दिया है। जब मामला राष्ट्रहित का हो तो उसे न्यायालय में चुनौती का विषय नहीं बनाया जाना चाहिये। भारत सरकार की नोटबंदी के विरूद्ध 50 से अधिक याचिकायें दाखिल होंना , इस बात का द्योतक भी है कि भारत में राष्ट्रहित के मुद्दों में अवरोध उत्पन्न करनें का सुव्यवस्थित मेनेजमेंट है।
उदाहरण के तौर पर -
हमारे परिवार में जमीनों को बेंचनें - खरीदनें का व्यवसाय होता है। तब कालाधन लगभग सभी जगह होता था। विशेषकर प्रोपर्टी के व्यवसाय में । जैसे ही अचानक 500 और 1000 हजार के नोट बंद हुये तो मेरे पिताजी भी घबरा गये, उन्होनें तुरन्त अपने बैंक का लाकर खोला और उसमें से नगदी और सोनें के जेबरात व बिस्कुट घर ले आये। और नगद नोटों को किस तरह बदला जाये इस पर विचार हुये, अधिकुत सीमा 2.5 लाख रूपये सबको जमा करनें के लिये दिये गये। तब भी नोठ बच रहे थे तो सहकारी के और अन्य सरकारी लोन चुकाये गये । माना जाता है कि किसी बैंक वालें ने भी किसी तरह से बडी राशी के नोटों को बदला, इस तरह से उन नोटों को ठिकानें लगाया गया और वह राशी पिताश्री को वापस नहीं मिली । इस दौरान उनका निधन भी हो गया सो जिसको जो मिली थी वही जीम गया। इस तरह का नुकसान व्यक्तिगत तौर पर हुआ है, मगर यह नुकसान उसी राशी का हुआ जो गैर कानूनी तरीके से रखी गई थी। सरकार की व्यवस्था को धोका देकर छिपाई हुई थी। मोदी जी की नोटबंदी नामक सर्जीकल स्ट्राईक की जरा भी भनक लग जाती तो कालाधन के व्यापारी इसे सोने में, सम्पत्ती में कर्न्वट कर लेते ।
भारत की मुद्रा को समानांतर मुद्रा का सामना आगे भी करना ही पडेगा। क्यों कि इसका मूल कारण दुश्मन देश हैं जो अपने यहां भारतीय नोट छाप कर, भारत में अपनी गैर कानूनी गतिविधियों में उपयोग करते हैं। पाकिस्तान और अफगानिस्तान में नशे का बडा उत्पादन एवं करोबार है। इन देशों के आतंकी संगठन भारत में भी आतंकी एवं संगठानात्मक गतिविधियां चलाते है। उन्हे आसान भुगतान के रूप में असली जैसे प्रकाशित नकली नोट उपलब्ध करवाना बहुत आसान होता है।
सुछाव -
1 - मेरा मानना है कि बडे नोटों को प्रति 10 वर्ष में प्रचलन से बाहर कर देना चाहिये वहीं छोटे नोटों को भी 10-15 वर्ष में नई सिरीज के जर्ये समाप्त करना चाहिये । इससे मुद्रा के सा सुथरे चलन को प्रोत्साहन मिलेगा।
2- नोट बंदी का सबसे बडा फायदा देश को मिल गया है कि डिजिटल पेमेंट होनें लगे हैं, जनता को इस पर विश्वास बडा है। अब तो बहुत सारा पेमेंट यहां तक कि चाय नास्ते का पेमेंट भी डिजिटल हो रहा है। इससे नोटों पर निर्भरता कम होगी । मगर बडे डिजिटल पेमेंटों पर सरकार को नियम बना कर निगाह एवं नियंत्रण रखना होगा । वहीं डिजिटल फ्राड और बैंक खाली करनें की घटनाओं पर कठोरता से नियंत्रण उपाये किये जानें होंगें।
3- 2000 के नोटों को पूरी तरह से प्रचलन से बाहर किया जाना चाहिये, उन्हे वापस बैंकों में लाना चाहिये। चुनाव के पहले यही नोट सबसे ज्यादा पकडे जा रहे हैं। बैंक में आनें वाले 2000 के नोट को रिजर्ब बैंक अपने पास जमा करवाता रहे । बंगाल में और उत्तरप्रदेश में जिस तरह सैंकडों करोड रूपयों के जखीरे मिले है। वे कहीं न कहीं राजनैतिक दलों के काले चेहरे को उजागर करता है।
4- बहू मूल्य धातुओं एवं रत्नों के माध्यम से काली कमाई संग्रह किया जाना वर्षों पुरानी प्रथा है। इस संदर्भ में कोई ठोस व्यवस्था होनी चाहिये कि वह नम्बर एक में प्रचलन में रहे। अभी भी 90 प्रतिशत जेबरातों का निर्माण पर्ची पर कैसे हो जाता है। यह समझ से परे है। पर्ची का जेबर कभी चेलेंज भी नहीं किया जा पाता ।
5- जिस तरह बैंक और मतदाता सूची आधार कार्ड से जुड़ रही हैं। उसी तरह जमीन जायदाद मकान प्लाट आदि भी आधारकार्ड से जुडना चाहिये। सम्पैत्तिक अधिकार एवे धारण किये जाने का भी कोई कार्ड होना चाहिये। या उन्हे आधार कार्ड से ही जोडा जाना चाहिये।
में समझता हूं कि दो हजार के नोट बंद होनें चाहिये, नोट बंदी समय समय पर होती रहे,अचल सम्पत्ती भी आधारकार्ड से जुडे़ । देश विरोधी तत्वों को छोड दिया जाये तो, किसी को इस पर आपत्ती नहीं होनी चाहिये, देश में सब कुछ नीट एंड क्लीन होना चाहिये।
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*सुप्रीम कोर्ट ने इस पर मुहर लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने 4-1 से नोटबंदी को सही ठहराया है. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद कर दिया था. इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में 58 याचिकाएं दायर हुई थीं.
*भारत में केन्द्र सरकार के द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में किसी विषेशमूल्य वर्ग के नोटों को बंद किये जानें की यह तीसरी घटना थी। इससे पूर्व की अन्य सरकारों ने भी दो अवसरों पर नोट बंदी की है।
उन सरकारों ने नोटबंदी संसद में कानून बना कर की थी , क्यों कि उनका तालमेल भारतीय रिर्जव बैंक से नहीं था, मोदी सरकार ने भारतीय रिर्जव बैंक से तालमेल कर, आवश्यक राष्ट्रहित की दृष्टि से यह कदम उठाया था।
*इससे पहले, इसी तरह के उपायों को भारत की स्वतंत्रता के बाद लागू किया गया था। जनवरी 1946 में, 1000 और 10,000 रुपए के नोटों को वापस ले लिया गया था और 1000, 5000 और 10,000 रुपए के नए नोट 1954 में पुनः शुरू किए गए थे। 16 जनवरी 1978 को जनता पार्टी की गठबंधन सरकार ने फिर से 1000, 5000 और 10,000 रुपए के नोटों का विमुद्रीकरण किया था ताकि जालसाजी और काले धन पर अंकुश लगाया जा सके।
*28 अक्टूबर 2016 को भारत में 17.77 लाख करोड़ मुद्रा परिसंचरण में थी। मूल्य के आधार पर 31 मार्च 2016 को आई रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट अनुसार, परिसंचरण में नोटों की कुल कीमत 16.42 लाख करोड़ है, जिसमें से 86% (अर्थात 14.18 लाख करोड़ 500 और 1000 के नोट हैं।
*प्रधानमंत्री मोदी की आधिकारिक घोषणा के बाद रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल और आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास द्वारा एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि सभी मूल्यवर्ग के नोटों की आपूर्ति में 2011 और 2016 और बीच में 40% की वृद्धि हुई थी, 500 और 1000 रुपए में इस अवधि में क्रमश: 76% और 109% की वृद्धि हुई। इस जाली नकदी को भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में इस्तेमाल किया गया था। इसके परिणाम स्वरुप नोटों को खत्म करने का निर्णय लिया गया था।
*भले ही विपक्षी पार्टिया आम जनता की परेशानियों का हवाला देकर नोटबंदी के फैसले का विरोध कर रही हों, लेकिन जनता सरकार के इस फैसले का खुलकर समर्थन कर रही है।
*जनता की परेशानी के नाम पर विपक्ष भले ही नोट बंदी को राजनीतिक मुद्दा बना रहा है, लेकिन ज्यादातर लोग इसे सही मान रहे हैं। इनशॉर्ट्स और इप्सॉस द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, 82 फीसद लोग पांच सौ और हजार के नोट वापस लेने का समर्थन कर रहे हैं। 84 फीसद लोगों का मानना है कि सरकार काले धन पर रोक लगाने के लिए गंभीर है। नोट बंदी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के तत्काल बाद आठ और नौ नवंबर को यह सर्वे किया गया था। 2,69,393 लोगों ने एप के जरिये इस सर्वेक्षण में भाग लिया।
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