दिग्विजय सिंह के बयान पर हाँ और न भी पॉलिटिकल गेम - अरविन्द सिसोदिया Digvijay Singh
दिग्विजय सिंह के बयान पर हाँ और न भी पॉलिटिकल गेम - अरविन्द सिसोदिया
राघौगढ़ के राजा और मध्यप्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री और अनेकों बार सांसद तथा कांग्रेस के बड़े पदों पर रह चुके दिग्विजय सिंह खींची, कांग्रेस के न केवल दिग्गज नेता हैं, बल्कि कांग्रेस के मस्तिष्क मानें जाते हैं। इस समय वे भारत जोड़ो यात्रा के भी संयोजक हैं। वे बिना किसी योजना के भाषण और प्रेस में कुछ भी बोलें यह संभव नहीं है। यह कांग्रेस की रणनीति का ही हिस्सा है कि एक आरोप लगाए और दूसरा पार्टी बचाये।
इस समय कांग्रेस में स्तर वन पर सोनिया गाँधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी है। वहीं स्तर टू पर प्रथम दिग्विजय सिंह आते हैं अन्य में सेम पित्रिदो,अशोक गहलोत और कमलनाथ जैसे नेता आते हैं। इससे पहले जब तक गुजरात के अहमद पटेल के पास था वे नंबर दो पर लंम्बे समय से थे।
पार्टी में जो तीसरी लेयर बनती है, उसमें पार्टी अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे, जयराम रमेश , पी चिदंबरम, अंबिका सोनी,शशि थरूर जैसे नेता आते हैं। इसके अलावा कांग्रेस के मूल स्वामियों की लाइक - डिस्लाइक की सूची भी है। किन्तु गांधी परिवार की प्रथम संयुक्त पसंद दिग्विजय सिंह हैं।उनके बयानों का खंडन कभी गांधी परिवार नें नहीं किया।
दिग्विजय सिंह जानते हैं कि सोनिया जी के दिमाग़ में क्या चल रहा है, राहुल जी के दिमाग़ में क्या चल रहा है। वे क्या सुनना चाहते हैं। यह भी एक विज्ञान है। भले ही वे शब्द विवादित लगें, मगर तय रणनीति के तौर पर ही आते हैं।
किस किस आतंकवादी को क्या क्या सम्मान देनें से कौन प्रशन्न होगा, कौन विरोध करेगा यह उन्हें सब पता है। वे जानते हैं मुस्लिम एकजुट कौम है और हिन्दू बिखरा हुआ था, है और रहेगा।
भले ही जयराम रमेश नें दिग्विजय सिंह के बयान से कांग्रेस को अलग किया हो, मगर कांग्रेस कि इंटरनल बैठकों एवं चर्चाओं में सिंह का कद इसलिए बड़ा है कि गांधी परिवार यही सुनना चाहता है। कांग्रेस के प्रवक्तागण बहुत ही मजबूती से सिंह के बयान का पक्ष ले रहे है।
कांग्रेस का सोच कभी भी भारत हित चिंतक का नहीं रहा, वह सिर्फ सत्ता हित चिंतक ही रही है। उसके लिये हिन्दू हित चिंतन तो कभी गंभीर विषय नहीं रहा। कोंग्रस की इतनी दुर्गति के बाद भी, कांग्रेस का मूल उद्देश्य मुलमान को पार्टी से जोड़ना है, इस पूरी यात्रा में भाजपा विरोधी सभी तत्वों को जोड़ने का प्रयास ही एक मात्र लक्ष्य था। हिन्दुओं में विभाजन करो, मुसलमानों को जोड़ो, चीन पाकिस्तान को खुश रखो। यही नीति रही है और इसी के हिसाब बयानवाजी होती रही है।
पाकिस्तान आतंकवादियों के हित चिंतन से प्रसन्न होता है। तो चीन उसे भारत पर भारी बताने से प्रसन्न होता है, यही कांग्रेस करती है।
एक से चोर बुलवादो, दूसरे से खंडन करवादो, अदालत में बात जाये तो माफ़ी मांगलो और अगले दिन फिर गाली देने लगो, यह इस कांग्रेस का मूल चरित्र बन गया है और इसीसे यह हंसिये पर है। मगर हिन्दू फुट के रास्ते वह सत्ता प्राप्त करने के लिये आशान्वित है।
हलांकि लोग राहुल जी और दिग्विजय सिंह सहित तमाम लोगों के बयानात को गंभीरता से नहीं लेते। किन्तु मोदी जी के मुकाबले सिर्फ राहुल है, यह वातावरण बना कर कांग्रेस चल रही है और समय परिस्थिति का इंतजार कर रही है।
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