असंभव को संभव करने का पुरुषार्थ "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ" RSS so Varsh
असंभव को संभव करने का पुरुषार्थ "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ" लेख - अरविन्द सिसोदिया, कोटा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.), जिसे सामान्य रूप से "संघ" कहा जाता है, न केवल भारत का बल्कि विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है। यह संगठन अपने कठोर अनुशासन, पूर्ण समर्पण के साथ त्याग, तपस्या और बलिदान के लिए जाना जाता है। संघ ने पिछले 100 वर्षों में यह सिद्ध कर दिया है कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी एक स्वयंसेवक अपने आत्मविश्वास से तय लक्ष्य को प्राप्त करके ही रुकता है। उसके लिए कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। लक्ष्य प्रप्ति से पहले उसे कोई भी बाधा रोक नहीं सकती। जिस तरह हनुमानजी अपराजेय हैँ, उसी तरह संघ का स्वयंसेवक अपराजेय है। संघ की सबसे बड़ी विशेषता यह रही है कि जिस हिंदू समाज को "असंगठित, कमजोर और परस्पर विभाजित" माना जाता था, जो सहस्रों वर्षों से आंतरिक फूट के कारण पराजित होता रहा और विदेशी शासन का शिकार बनता रहा, उसी हिंदू समाज को संघ ने संगठित कर उसमें स्वाभिमान और आत्मविश्वास जगाया तथा उसे पुनः विश्व की सर्वश्रेष्ठ सभ्यता का अग्रदूत बनाया। य...