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असंभव को संभव करने का पुरुषार्थ "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ" RSS so Varsh

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असंभव को संभव करने का पुरुषार्थ "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ" लेख - अरविन्द सिसोदिया, कोटा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.), जिसे सामान्य रूप से "संघ" कहा जाता है, न केवल भारत का बल्कि विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है। यह संगठन अपने कठोर अनुशासन, पूर्ण समर्पण के साथ त्याग, तपस्या और बलिदान के लिए जाना जाता है। संघ ने पिछले 100 वर्षों में यह सिद्ध कर दिया है कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी एक स्वयंसेवक अपने आत्मविश्वास से तय लक्ष्य को प्राप्त करके ही रुकता है। उसके लिए कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। लक्ष्य प्रप्ति से पहले उसे कोई भी बाधा रोक नहीं सकती। जिस तरह हनुमानजी अपराजेय हैँ, उसी तरह संघ का स्वयंसेवक अपराजेय है। संघ की सबसे बड़ी विशेषता यह रही है कि जिस हिंदू समाज को "असंगठित, कमजोर और परस्पर विभाजित" माना जाता था, जो सहस्रों वर्षों से आंतरिक फूट के कारण पराजित होता रहा और विदेशी शासन का शिकार बनता रहा, उसी हिंदू समाज को संघ ने संगठित कर उसमें स्वाभिमान और आत्मविश्वास जगाया तथा उसे पुनः विश्व की सर्वश्रेष्ठ सभ्यता का अग्रदूत बनाया। य...

जब वीर स्वयंसेवक बढ़ता है RSS svynsevak

पुरुषार्थ का गीत – जब वीर स्वयंसेवक बढ़ता है RSS svynsevak  (ध्रुवपंक्ति / मुखड़ा) जब लक्ष्य लिए वीर स्वयंसेवक बढ़ता है, वह भारत का बल बुद्धि शौर्य जगाता है। पुरषार्थ का दीप बन,असंभव का अंधकार मिटाता है॥ --- (अंतर 1) विभाजन की वे पीड़ाएँ, आशायें उनकी बुझी हुईं थीं , शिविर बनाकर सेवायें दी, अपनत्व और ममत्व से उनको  जीने की नई राह दिखाता है । --- (अंतर 2) जब दंगों की लपटें उठतीं, रक्तरंजित धरती थी, राहत-दल बन स्वयंसेवक, गली गली का प्रहरी था ॥ --- (अंतर 3) आपातकाल के बंधन में, जब सत्य-द्वार बंद हुआ, भूमिगत रह संघर्ष किया, नई सुबह का उदय किया ॥ --- (अंतर 4) कश्मीर से लेकर गोवा तक, अखंडता का संघर्ष था  बलिदानों की गाथाये है, 370 की बेड़ी टूटी, यह संघ-पुरुषार्थ की गाथा है॥ --- (अंतर 5) रामलला का धाम खड़ा, आस्था का आलंबन है, अयोध्या की ध्वजा लहराती, वीरत्व स्वयं का दर्पण है॥ --- (अंतर 6) न झुकेंगे, न रुकेंगे हम, लक्ष्य पहले हांसिल करेंगे. संघ-व्रत यही महान है, भारत माँ की अखंड ज्योति, हर स्वयंसेवक के प्राण ॥ --- (अंतिम अंतरा) जय-जय करती मां भारती , जन जन उतारे पावन आरती। संघ अमर ,...

संघ है तो भारत सुरक्षित है, सनातन सुव्यवस्थित है, स्वाभिमान प्रफुल्लित है

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संघ है तो भारत सुरक्षित है, सनातन सुव्यवस्थित है, स्वाभिमान प्रफुल्लित है आरएसएस के स्थापना दिवस विजयादसमी पर विशेष आलेख संघ है तो भारत सुरक्षित है, सनातन सुव्यवस्थित है, स्वाभिमान प्रफुल्लित है लेखक – अरविन्द सिसोदिया, कोटा हिंदुस्तान लगभग तीन हजार सालों से विदेशी हमलावरों के आक्रमण झेलता रहा है। इनमें से कुछ ने हमें पराधीन बनाया, कुछ लूटकर चले गए और कुछ हममें ही विलीन हो गए। इस दौरान जबरन हिंसक और क्रूर धर्मांतरण ने हिंदुस्तान को बहुत नुकसान पहुंचाया। अखंड भारत के लगभग 95 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम और ईसाई हिंदुओं की ही संतानें हैं। उनके पुरखे हिंदू ही थे। जबरन उनकी पूजा पद्धति भले ही बदली, मगर उनके पूर्वज कभी नहीं बदले जा सकते। एक समय भविष्य में आएगा जब सब कुछ फिर से एकात्म होगा। किन्तु जहाँ-जहाँ हिंदू जनसंख्या कम हुई, वह हिस्सा देश से अलग हो गया।  हिंदू संस्कृति में वीरता और पुरुषार्थ को ही सुरक्षा के लिए सर्वोपरी माना गया है, प्रथम महत्व दिया गया है। इसी कारण अधिकांश सनातन देवी-देवताओं के हाथों में शस्त्र और शास्त्र हैं। इसी वीरता के कारण हमारी संस्कृति का...