आदि अनंत गुरुवर महर्षि वेदव्यास जी के 30 अनमोल विचार mahrshi ved vyash
*🥀🔥हरी ओम नमोनारायण,🔥🥀*
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*🚩🕉️ महाऋषि वेद व्यास जी की जयंती और गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आप सबको बहुत बहुत बधाईयां और शुभकामनाएं देता हूं।*
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*,🔥🌿🔥महर्षि वेदव्यास जी के 30 अनमोल विचार, जो आपकी जिंदगी बदल देंगे...*
*🚩,🌹जीवन के लिए बहुउपयोगी है महर्षि वेद व्यास के अमूल्य विचार...*
*🚩भारतीय संस्कृति में गुरु का बहुत महत्व है। महर्षि वेद व्यास चारों वेदों के प्रथम व्याख्याता थे, जिन्होंने हमें वेदों का ज्ञान दिया है। वे हमारे आदिगुरु है। महर्षि वेद व्यास के उपदेश और उनके विचार हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। यहां पाठकों के लिए प्रस्तुत है महर्षि वेद व्यास के 30 अनमोल और अमू्ल्य विचार, जो हम सभी के लिए प्रेरणादायी है। आइए जानें...*
*1. 🕉️अभीष्ट फल की प्राप्ति हो या न हो, विद्वान पुरुष उसके लिए शोक नहीं करता।*
*2. 🚩जो सज्जनता का अतिक्रमण करता है उसकी आयु, संपत्ति, यश, धर्म, पुण्य, आशीष, श्रेय नष्ट हो जाते हैं।*
*3. 🕉️किसी के प्रति मन में क्रोध रखने की अपेक्षा उसे तत्काल प्रकट कर देना अधिक अच्छा है, जैसे पल में जल जाना देर तक सुलगने से अच्छा है।*
*4. 🚩अमृत और मृत्यु दोनों इस शरीर में ही स्थित हैं। मनुष्य मोह से मृत्यु को और सत्य से अमृत को प्राप्त होता है।*
*5. 🕉️दूसरों के लिए भी वही चाहो जो तुम अपने लिए चाहते हो।*
*6. 🚩जो वेद और शास्त्र के ग्रंथों को याद रखने में तत्पर है किंतु उनके यथार्थ तत्व को नहीं समझता, उसका वह याद रखना व्यर्थ है।*
*7. 🕉️जो मनुष्य क्रोधी पर क्रोध नहीं, क्षमा करता है, वह अपनी और क्रोध करने वाले की महा संकट से रक्षा करता है। वह दोनों का रोग दूर करने वाला चिकित्सक है।*
*8. 🚩जहां कृष्ण हैं, वहां धर्म है और जहां धर्म है, वहां जय है।*
*9. 🕉️जिसके मन में संशय भरा हुआ है, उसके लिए न यह लोक है, न परलोक है और न सुख ही है।*
*10. 🚩अत्यंत लोभी का धन तथा अधिक आसक्ति रखने वाले का काम- ये दोनों ही धर्म को हानि पहुंचाते हैं।*
*11. 🕉️जिस मनुष्य की बुद्धि दुर्भावना से युक्त है तथा जिसने अपनी इंद्रियों को वश में नहीं रखा है, वह धर्म और अर्थ की बातों को सुनने की इच्छा होने पर भी उन्हें पूर्ण रूप से समझ नहीं सकता।*
*12. 🚩क्षमा धर्म है, क्षमा यज्ञ है, क्षमा वेद है और क्षमा शास्त्र है। जो इस प्रकार जानता है, वह सब कुछ क्षमा करने योग्य हो जाता है।*
*13. 🕉️मन में संतोष होना स्वर्ग की प्राप्ति से भी बढ़कर है, संतोष ही सबसे बड़ा सुख है। संतोष यदि मन में भली-भांति प्रतिष्ठित हो जाए तो उससे बढ़कर संसार में कुछ भी नहीं है।*
*14. 🚩दुख को दूर करने की एक ही अमोघ औषधि है- मन से दुखों की चिंता न करना।*
*15. 🕉️जो केवल दया से प्रेरित होकर सेवा करते हैं, उन्हें नि:संशय सुख की प्राप्ति होती है।*
*16. 🚩अधिक बलवान तो वे ही होते हैं जिनके पास बुद्धिबल होता है। जिनमें केवल शारीरिक बल होता है, वे वास्तविक बलवान नहीं होते।*
*17. 🕉️जिसकी बुद्धि नष्ट हो जाती है, वह मनुष्य सदा पाप ही करता रहता है। पुन:-पुन: किया हुआ पुण्य बुद्धि को बढ़ाता है।*
*18. 🚩जो विपत्ति पड़ने पर कभी दुखी नहीं होता, बल्कि सावधानी के साथ उद्योग का आश्रय लेता है तथा समय आने पर दुख भी सह लेता है, उसके शत्रु पराजित ही हैं।*
*19. 🕉️जो मनुष्य अपनी निंदा सह लेता है, उसने मानो सारे जगत पर विजय प्राप्त कर ली।*
*20. 🚩संसार में ऐसा कोई नहीं हुआ है, जो मनुष्य की आशाओं का पेट भर सके। पुरुष की आशा समुद्र के समान है, वह कभी भरती ही नहीं।*
*21. 🕉️माता के रहते मनुष्य को कभी चिंता नहीं होती, बुढ़ापा उसे अपनी ओर नहीं खींचता। जो अपनी मां को पुकारता हुआ घर में प्रवेश करता है, वह निर्धन होता हुआ भी मानो अन्नपूर्णा के पास चला आता है।*
*22. 🚩 मन का दुख मिट जाने पर शरीर का दुख भी मिट जाता है।*
*23. 🚩आशा ही दुख की जननी है और निराशा ही परम सुख शांति देने वाली है।*
*24. 🚩सत्य से सूर्य तपता है, सत्य से आग जलती है, सत्य से वायु बहती है, सब कुछ सत्य में ही प्रतिष्ठित है। (महाभारत)*
*25. 🚩जो मनुष्य नाश होने वाले सब प्राणियों में समभाव से रहने वाले अविनाशी परमेश्वर को देखता है, वही सत्य को देखता है।*
*26. 🚩जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है, वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिए।*
*27. 🚩स्वार्थ की अनुकूलता और प्रतिकूलता से ही मित्र और शत्रु बना करते हैं।*
*28. 🚩मनुष्य जीवन की सफलता इसी में है कि वह उपकारी के उपकार को कभी न भूले। उसके उपकार से बढ़कर उसका उपकार कर दे।*
*29. 🚩विद्या के समान कोई नेत्र नहीं है।*
*30. 🚩जैसे तेल समाप्त हो जाने पर दीपक बुझ जाता है, उसी प्रकार कर्म के क्षीण हो जाने पर देव भी नष्ट हो जाता है।*
*🌿🌹देवभूमि भारतम् 🌹🌿*
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