डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान अमर रहेगा
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान अमर रहेगा
पाकिस्तान बनवा चुकी, तिब्बत चीन को दे चुकी जवाहरलाल नेहरू की सत्ता मद में डूबी निरंकुश एवं मनमानी करने वाली कांग्रेस पर लोकतांत्रिक तरीके से अंकुश लगाने के लिए एक मजबूत राष्ट्रहित चिंतक विपक्ष की अवधारणा को स्थापित करने के लिये, केन्द्रीय मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देकर,1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना एवं संसद में प्रथम संयुक्त गठबंधन की स्थापना करने वाले प्रखर राष्ट्रवादी व दूरदर्शी चिंतक डॉ. श्यामा-प्रसाद-मुखर्जी जी की जयंती पर उन्हें आत्मिक श्रद्धांजलि एवं नमन् । देश की एकता हेतु आपका बलिदान अमर रहेगा।
"सत्ता का मूल उद्देश्य राज करना नहीं बल्कि राष्ट्र-निर्माण के लिए समर्पित भाव से कार्य करना है।"
देश की एकता और विकास में उल्लेखनीय योगदान देने वाले भारतीय जनसंघ के संस्थापक, प्रखर राष्ट्रवादी विचारक श्रद्धेय डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयन्ती पर विनम्र अभिवादन।
एक समय जम्मू-कश्मीर में प्रवेश के लिए परमिट लेना पड़ता था। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने एक विधान, एक प्रधान और एक निशान के संकल्प के लिए अपना बलिदान देकर कश्मीर से परमिट राज खत्म कर उसे भारत का अभिन्न अंग बनाया। डॉ. मुखर्जी जी के इस संघर्ष और त्याग के हम सदैव ऋणी रहेंगे।
डॉ.मुखर्जी एक अद्वितीय चिंतक थे जिनका मानना था कि सत्ता का मूल उद्देश्य राज करना नहीं बल्कि राष्ट्र-निर्माण के लिए समर्पित भाव से कार्य करना है।
उनका सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का दर्शन और भारत की मूल संस्कृति के अनुरूप नीतियों को अपनाने के विचार हमेशा हमारा पथ प्रदर्शन करते रहेंगे।
अपने पुत्र की असमय मृत्यु पर उनकी माता योगमाया देबी ने कहा था :=
पाकिस्तान बनवा चुकी, तिब्बत चीन को दे चुकी जवाहरलाल नेहरू की सत्ता मद में डूबी निरंकुश एवं मनमानी करने वाली कांग्रेस पर लोकतांत्रिक तरीके से अंकुश लगाने के लिए एक मजबूत राष्ट्रहित चिंतक विपक्ष की अवधारणा को स्थापित करने के लिये, केन्द्रीय मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देकर,1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना एवं संसद में प्रथम संयुक्त गठबंधन की स्थापना करने वाले प्रखर राष्ट्रवादी व दूरदर्शी चिंतक डॉ. श्यामा-प्रसाद-मुखर्जी जी की जयंती पर उन्हें आत्मिक श्रद्धांजलि एवं नमन् । देश की एकता हेतु आपका बलिदान अमर रहेगा।
"सत्ता का मूल उद्देश्य राज करना नहीं बल्कि राष्ट्र-निर्माण के लिए समर्पित भाव से कार्य करना है।"
देश की एकता और विकास में उल्लेखनीय योगदान देने वाले भारतीय जनसंघ के संस्थापक, प्रखर राष्ट्रवादी विचारक श्रद्धेय डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयन्ती पर विनम्र अभिवादन।
एक समय जम्मू-कश्मीर में प्रवेश के लिए परमिट लेना पड़ता था। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने एक विधान, एक प्रधान और एक निशान के संकल्प के लिए अपना बलिदान देकर कश्मीर से परमिट राज खत्म कर उसे भारत का अभिन्न अंग बनाया। डॉ. मुखर्जी जी के इस संघर्ष और त्याग के हम सदैव ऋणी रहेंगे।
डॉ.मुखर्जी एक अद्वितीय चिंतक थे जिनका मानना था कि सत्ता का मूल उद्देश्य राज करना नहीं बल्कि राष्ट्र-निर्माण के लिए समर्पित भाव से कार्य करना है।
उनका सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का दर्शन और भारत की मूल संस्कृति के अनुरूप नीतियों को अपनाने के विचार हमेशा हमारा पथ प्रदर्शन करते रहेंगे।
अपने पुत्र की असमय मृत्यु पर उनकी माता योगमाया देबी ने कहा था :=
मेरे पुत्र की मृत्यु •भारत माता• के पुत्र की मृत्यु है, भारत माता के इस वीर सपूत श्यामा प्रसाद मुखर्जी को""दो कारणों""से सदा याद किया जाता है ==
डा.मुखर्जी एक दक्ष राजनीतिज्ञ,विद्वान और स्पष्टवादी के रूप में वे अपने मित्रों और शत्रुओं द्वारा सामान रूप से पूज्य सम्मानित थे।एक महान देशभक्त और शिष्ट सांसद के रूप में भारत उन्हें मान सम्मान के साथ हमेशा याद करता रहेगा.सादर वंदन.सादर नमन
#ShyamaPrasadMukherjee
.(1)पहला-वे एक योग्य पिता के योग्य पुत्र थे, उनके पिता आशुतोष मुखर्जी बंगाल में एक शिक्षाविद् बुद्धिजीवी के रूप में प्रसिद्ध थे और 33वर्ष की आयु में कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त हुए और विश्व का सबसे युवा कुलपति होने का सम्मान पाया।.
(2) डा.मुखर्जी को याद करने का दूसरा कारण=जम्मू कश्मीर के भारत मे पूर्ण विलय की मांग को लेकर उनके द्वारा किया गया सत्याग्रह व बलिदान।
डा.मुखर्जी एक दक्ष राजनीतिज्ञ,विद्वान और स्पष्टवादी के रूप में वे अपने मित्रों और शत्रुओं द्वारा सामान रूप से पूज्य सम्मानित थे।एक महान देशभक्त और शिष्ट सांसद के रूप में भारत उन्हें मान सम्मान के साथ हमेशा याद करता रहेगा.सादर वंदन.सादर नमन
#ShyamaPrasadMukherjee
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें