कहा था न "न खाऊंगा न खानें दूँगा " , यही तो ईडी कर रहा है

"I will neither eat nor let me eat"

कहा था न  "न खाऊंगा न खानें दूँगा " , यही तो ईडी कर रहा  है

Is Samay vipaksh ED - ED Chilla raha hai , jabki Bharat Ke Pradhanmantri Narendra Modi ne , pad per baithane se pahle hi kah diya Tha ki " na khaunga na khane dunga"  to  Bhai bhrashtachar nahin karna chahie tha । Kyon anaitik Roop se aapane Dhan kamaya । 
 
इस समय मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सहित कई दल ईडी ईडी चिल्ला रहे हैं। जबकि भारत के  प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने पद पर बैठनें से पहले ही कह दिया था कि “न खाऊंगा, न खानें दूंगा“, तो भ्रष्टाचार नहीं करना चाहिये था। क्यों अनैतिक रूप से आपनें धन कमाया ।

अगर अवैध रूप से धन कमाया है तो फिर जांच और जेल को भी तैयार रहो। फिर प्रदर्शन की नौटंकी क्यों? यह तो वही हुआ कि में हत्यारा तो हूँ मगर मुझे पकड़ो मत !

भ्रष्टता के अपराध की जांच रोकने के लिए , कांग्रेस के धरना प्रदर्शन और संसद में अवरोध भी लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपराध है ।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में ही अपने आम चुनाव प्रचार के दौरान एक बार नहीं अनेक बार कहा था कि " ना खाऊंगा ना खाने दूंगा " इसके बावजूद विपक्ष के कई राजनेता धन बनाने की जुगत में लगे रहे । आजकल राजनीति का एक चलन हो गया है कि निर्वाचित होकर के तुरंत ही 700 पीढ़ियों का इंतजाम करने में लग जाना और निश्चित रूप से इतनी बड़ी राशि कमाने के लिए कुछ गलत रास्ते, अवैध रास्ते , अनैतिक रास्ते अपनाए जाते हैं।

 इसीलिए तो भारत सरकार के प्रवर्तन निदेशालय जिसे ईडी कहा जाता है उसने लगातार छापे मारकर के विभिन्न राजनीतिक दलों  एवं व्यक्तियों के खातों में जमा, घरों में जमा, गोदामों में जमा बहुत सारी राशियां और संपत्तियों  की हेरफेर को उजागर किया है ।

 ईडी ने तो अपना कर्तव्य पूरा किया है । ईडी का काम सही ह , इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर भी लगा दी है । इसके बावजूद ईडी को रोकने के लिए हजारों प्रदर्शन कांग्रेस के द्वारा किए जा रहे हैं । यह प्रदर्शन ईडी को रोकने के लिए किए जा रहे हैं । यह सच्चाई को सामने आने से रोकने के लिए किए जा रहे हैं । 

एक कहावत है कि दीवारों के भी कान होते हैं और इसलिए कोई भी व्यक्ति यह सोचे कि उसका भ्रष्टाचार छुप जाएगा तो छुपता नहीं है । यह दूसरी बात है कि देश में कई दशकों तक राजनैतिक भ्रष्टाचार की तरफ से आंख मूंद कर रखी। एक चुनाव जीतते ही सात पीढ़ियों का इंतजाम हो जाता था ।

ईडी के द्वारा पिछले 7-8 साल में जितने भी मामले सामने लाए गए हैं वे ज्यादातर प्रमाणित है और उन पर साक्ष्य संबंधी कोई उंगली नहीं उठी है । यह जरूर है कि यह राजनेताओं के द्वारा अकूत धन संपत्ति एकत्रित करने की मनोवृत्ति और उसके लिये अपनाई गई आपराधिकता के विरुद्ध एक ठोस और सही कदम है । जिसे राजनीति से धन बनाने वाले दल और नेता रोकना चाहते हैं । 

मेरा मानना तो यह है कि ईडी के पास, प्रत्येक स्टेट में अपना एक  हेल्प लाइन व्हाट्सएप, ईमेल एड्रेस होना चाहिए। जिस पर आम जनता अपने आसपास के राजनेताओं की अवैद्य सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती धन-संपत्ति और वैभव की जानकारी उन्हें  दे सकें । ताकि राजनीति को आर्थिक अपराध में बदलकर भारत माता को शर्मिंदा करने वाले लोग , संविधान को विफल करने वाले लोग और लोकतंत्र को लूटतंत्र में बदलने वाले लोग, जेल के सिकंजों के पीछे जा सके ।

कुल मिला कर लोकतंत्र को स्वस्थ रखने, स्वच्छ रखनें एवं लोकतंत्र ही रखनें के लिए ई डी जैसी संस्था की प्रशासनिक क्षमता में वृद्धि की जाये, उसमें कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाये। ताकि छोटे से छोटा आर्थिक अपराधी भी बच नहीं पाये ।
जय भारत !
जय हिंद !!

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