शरद पंवार से मुक्ति लें,मूल विचार-व्यवहार पर लौटें “उद्धव ठाकरे”
शरद पंवार से मुक्ति लें,मूल विचार-व्यवहार पर लौटें “उद्धव ठाकरे”
Get rid of Sharad Pawar, return to the original thinking "Uddhav Thackeray"
महाराष्ट्र की राजनीति का सच यही है कि उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे एवं आदित्य ठाकरे का मूल बर्चस्व शिवसेना संस्थापक एवं कट्टर हिन्दुत्ववादी एवं मुस्लिम गुण्डागर्दी विरोधी स्व. बाला साहेब ठाकरे के विचारों एवं व्यवहार की छाया में ही है। उद्धव ठाकरे कांग्रेस अथवा राष्ट्रवादी कांग्रेस के विचारों एवं व्यवहारों का अनुसरण करते भी हैं तो भी उन्हे कोई अपना नेता नहीं बनाने वाला, क्यों कि उन वोट बैंकों के पास अपने अपने नेता कई दसकों से हैैं। न ही वे उद्धव ठाकरे पर विश्वास ही करेंगे ।आदित्य ठाकरे जिस अजमेर में चादर चढानें गये थे वहां का अब कुछ छुपा नहीं है। सच यही है कि ये तो वे दल हैं जो मूलतः शिवसेना को समाप्त करना चाहते थे, साथ मिला कर समाप्त कर ही तो रहे थे। इसी कारण तो हाथ छुडा कर शिवसेना विधायक एकनाथ के साथ बागी हो गये।
उद्धव ठाकरे के सामनें अब भी एक ही रास्ता है कि वे अपने मूल विचार एवं व्यवहार पर लौटें, उन्होनें औरंगाबाद का नाम बदल कर इसके संकेत भी दिये हैं। महाराष्ट्र की जनता भी ठाकरे परिवार यही चाहती है कि वे फिर से बाला साहेब ठाकरे वाले शिवसैनिक बनें।
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महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे एवं भाजपा की संयुक्त नई सरकार के गठन के साथ ही राष्ट्रवादी कांग्रेस के सर्वेसर्वा जो कि पूर्व कांग्रेसी ही हैं, अब उद्धव ठाकरे को आंखें दिखाने लगे हैं। उन्होने औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजी नगर रखनें के उद्धव ठाकरे के फैंसले पर प्रश्न खडा किया है।
एनसीपी के चीफ शरद पवार ने उद्धव ठाकरे द्वारा आखिरी कैबिनेट बैठक में औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर रखने के फैसले पर कहा है कि पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने इस मुद्दे को लेकर हमसे कोई चर्चा नहीं को थी। ऐसा कोई निर्णय वो लेंगे इसकी जानकारी नहीं थी, लेकिन मुख्यमंत्री का लिया फैसला आखिरी होता है। शरद पवार ने कहा कि औरंगाबाद हमारे कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का हिस्सा नहीं था। औरंगाबाद के लिए कुछ और या बड़ा निर्णय लिया होता तो लोगों को ज्यादा पसंद आया होता।
शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के गठबंधन वाली महा विकास अघाड़ी सरकार के पतन के बाद एकनाथ शिंदे ने गत 30 जून को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, जबकि भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली है। इससे पहले भी शरद पवार ने कहा था कि महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव होने की आशंका है, क्योंकि शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार अगले 6 महीनों में गिर सकती है। हलांकी भाजपा ने सरकार बचाये रखनें एवं निरंतर चलाये रखनें के पुख्ता इंतजाम के लिये ही एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री एवं देवेन्द्र फडणवीस कर उपमुख्यमंत्री बनाया है। ताकि सरकार में सेंधमारी न हो सके।
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