BJP has to be careful from anti-BJP communal conspiracies - Arvind Sisodia
भाजपा विरोधी साम्प्रदायिक षडयंत्रों से,भाजपा को सावधान ही रहना होगा
- अरविन्द सिसौदिया
BJP has to be careful from anti-BJP communal conspiracies - Arvind Sisodia
भारत में हिदूंओं की एक मात्र पशंदीदा पार्टी भाजपा है । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पशंदीदा लीडर हैं। भाजपा के कुछ हद तक हिन्दू हित के वे काम किये भी हैं, जो जरूरी थे। किन्तु भाजपा के लिये राष्ट्र सर्वोपरी है, वह राष्ट्रवादी पार्टी है । वह तेजी से देश का विकास कर रही है, विश्व राजनीति में भी वर्तमान में अग्रणी बनें रहना ही पहली आवश्यकता है। तकनीक एवं बाजार में बनें रहने के सभी उपाय मोदी सरकार में हो रहे हें। विश्व स्तर वह भारत को नई बुलंदियों पर पहुंचा रही है।
BJP is the only favorite party of Hindus in India. Prime Minister Narendra Modi and Chief Minister Yogi Adityanath are the favorite leaders. To some extent, the BJP has also done those works of Hindu interest, which were necessary. But for BJP the nation is paramount, it is a nationalist party. She is developing the country rapidly, the first requirement is to remain a leader in world politics at present. All the measures to stay in technology and market are being done in Modi government. She is taking India to new heights at the world level.
हिन्दुस्तान और हिन्दू लगातार कई शताब्दियों से परतंत्र रहे हैं, इसलिये अनेकानेक हिन्दू मसलों पर भी काम हो रहा है । कई काम पूरे किये जा रहे है। हिन्दूओं के प्रति लगातार हजार वर्ष से नाइंसाफी शासनतंत्र के द्वारा होती रही है। सरकार में कोई भी बैठा मगर हिन्दू अहित होता ही रहा है। इसलिये हिदूंओं के मसलों की संख्या बहुत अधिक है,एक झटके में इन्हे हल भी नहीं किया जा सकता।
India and Hindus have been independent for many centuries, so work is being done on many Hindu issues as well. Many works are being completed. Injustice towards Hindus has been done continuously for thousand years by the government. Anyone sitting in the government but Hindus have been getting hurt. That's why the number of Hindu issues are huge, they cannot even be solved in one fell swoop.
किन्तु भाजपा सरकार में ही पहलीवार हिन्दू मसलों पर काम हो रहा है, इसलिये हिन्दुओं की पशंद भाजपा बन गई है। कांग्रेस की भी पोल खुल गई है। उसके हिन्दू विरोधी कार्यो की भी पोल खुल गई है। इसी कारण कांग्रेस देश से सिमटती गई और आज अप्राशंगिक होती जा रही है।
But for the first time in the BJP government, work is being done on Hindu issues, hence the choice of Hindus has become BJP. Congress has also been exposed. His anti-Hindu activities have also been exposed. For this reason, the Congress was reduced from the country and today it is becoming irrelevant.
हिन्दुओं की समस्यायें हजार साल पूर्व से प्रारम्भ होती हैं। इनको लेकर स्वतंत्रता के समय जब देश बंट रहा था, तभी बहुत सारे निर्णय हो जानें चाहिये थे। किन्तु कांग्रेस को सिर्फ कुर्सी ही दिख रही थी। ब्रिटेन बंटवारे में अधिकतम मुसलमानों को देना चाहता था।
The problems of Hindus start from thousand years ago. When the country was being divided at the time of independence regarding these, then many decisions should have been taken. But the Congress was seeing only the chair. Britain wanted to give maximum number of Muslims in partition.
बाबा साहेब अम्बेडकर ने विभाजन के पूर्व 1941 में ही , हिन्दू मुस्लिम समस्या और देश विभाजन के विरोध में पुस्तक 'थॉट्स ऑन पाकिस्तान' लिख कर कांग्रेस को सचेत किया था, मगर कांग्रेस ने इस पुस्तक को छूआ तक नहीं । इस पुस्तक में भारत की हिन्दू- मुस्लिम समस्या पर विस्तार से वर्णन एवं विश्लेषण था और बहुत सारी शंकायें एवं समस्याओं का जिक्र था।
Babasaheb Ambedkar had warned the Congress by writing a book "Thoughts on Pakistan" against the Hindu Muslim problem and the partition of the country even before the partition, but the Congress did not even touch this book. In this book, there was a detailed description and analysis on the Hindu-Muslim problem of India and many doubts and problems were mentioned.
मगर कांग्रेस महज कुर्सी मिल जाये इसी फिराक में थी बौर उसने अव्यवहारिक एवं अव्यवस्थित बंटवारा स्विकार किया। जिसके चलते बहुत सारी हिन्दू मुसिलम समस्यायें जस की तस बनीं रहीं एवं नई समस्याओं का जन्म भी हुआ।
But the Congress was only trying to get the chair and it accepted the impractical and disorderly partition. Due to which many Hindu Muslim problems remained the same and new problems were also born.
स्वतंत्रता के पश्चात भी भारत में अघोषित जिन्नावादी तुष्टिकरण का शासन चलता रहा जिसके कारण भारत में हिन्दू अपने ही अधिकारों से बंचित किया जाता रहा । जब देश को धीरे धीरे समझ आनें लगा तब से ही देश का हिन्दू भाजपा के साथ होनें लगा । यही कांग्रेस की समस्या है।
Even after independence, the rule of undeclared Jinnah appeasement continued in India, due to which Hindus in India were being deprived of their own rights. When the country gradually started to understand, only then the Hindus of the country started being with the BJP. This is the problem of Congress.
अब कांग्रेस मोदी -2 के बाद से ही भाजपा से भिडनें के लिये आर पार के मूड में है। जो विदेशी ताकते कांग्रेस को परोक्ष अपरोक्ष सहयोग कर रहीं हें या जो भाजपा विरोधी हैं,वे भी जानती हैं कि यही 2024 का चुनाव नरेन्द्र मोदी जीत गया तो भारत में कांग्रेस हमेशा के लिये समाप्त हो जायेगी। इसलिये भाजपा एवं मोदी सरकार के खिलाफ जबरदस्त षडयंत्र आगे भी चलेंगे। जिस तरह यूपी चुनाव तक किसान आन्दोलन चला और फिर समाप्त हो गया। उसी तरह 2024 तक जबरदस्त आराजकता उत्पन्न करनें की कोशिशें होंगी।
Now the Congress is in a cross mood to take on the BJP since Modi-2. Those foreign forces who are supporting the Congress indirectly or who are anti-BJP, they also know that if Narendra Modi wins this election of 2024, then the Congress in India will end forever. That's why a tremendous conspiracy against the BJP and the Modi government will go on. The way the farmers movement went on till the UP elections and then ended. Similarly, by 2024, there will be efforts to generate tremendous anarchy.
इसी तरह के षडयंत्रों में शाहीन बाग लगाना था, तथाकथित किसान आन्दोलन था, अग्निपथ योजना को रोकनें के लिये की गई आग जनी थी। नूपूर शर्मा के कथित बयान की ओट से देश में हिंसक आराजकता फैलानें की योजना है।
In similar conspiracies, there was the planting of Shaheen Bagh, the so-called farmers' movement, a fire was started to stop the Agneepath scheme. There is a plan to spread violent anarchy in the country due to the alleged statement of Nupur Sharma.
वहीं एक नया ट्रेंड सामने आ रहा है कि आतंकवादियों या भाजपा विरोध तत्वों से जुडे सिलीपर सेल जिनसे भविष्य में तय सुदा अपराध करवाये जायेंगे, उन्हे भाजपा में घुसाओं, भाजपा नेताओं के इर्द गिर्द लगाओ और फिर बडा काण्ड करो तथा भाजपा को बदनाम करो। उसे राजनीति से बाहर करो । इसीलिये भाजपा को सावधान रहना ही होगा।
At the same time, a new trend is emerging that the Silipar Cell associated with terrorists or anti-BJP elements, from whom certain crimes will be done in future, enter them in BJP, surround BJP leaders and then do a big scandal and defame BJP. Get him out of politics. That's why BJP has to be careful.
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साम्प्रदायिक षडयंत्रों से,भाजपा को सावधान ही रहना होगा
Pak हैंडलर के कहने पर BJP में शामिल होना चाह रहा था रियाज, बड़े नेताओं तक पैठ बनाने की थी तैयारी
Udaipur Kanhaiya Lal Murder Case: टेलर कन्हैयालाल हत्याकांड में शामिल एक आरोपी मोहम्मद रियाज अत्तारी बीजेपी की राजस्थान अल्पसंख्यक इकाई की बैठकों में शामिल होता था. अब इसके पीछे की वजह खुलकर सामने आ गई है कि रियाज आखिर क्यों BJP कार्यकर्ता बनना चाह रहा था....
उदयपुर के टेलर कन्हैयालाल हत्याकांड (Udaipur Kanhaiya Lal Murder Case) को बहुत ही सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया था. पाकिस्तानी हैंडलर सलमान हैदर और अबु इब्राहिम के कहने पर ही मोहम्मद रियाज अत्तारी BJP अल्पसंख्यक मोर्चा का कार्यकर्ता बनना चाह रहा था ताकि अंदर की सूचनाएं उसे मिल सकें.
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बंटवारे के खिलाफ थे अंबेडकर, लताड़ा था गांधी, नेहरू और जिन्ना को, नहीं रोक सके पाकिस्तान बनने से..!
बाबा साहेब अंबेडकर भारत के विभाजन के पक्ष में नहीं थे। वे लगातार भारत को दो टुकड़ों में बांटे जाने का विरोध कर रहे थे। उन्होंने अपनी एक पुस्तक थॉट्स ऑन पाकिस्तान भी लिखी है, जिसमें उन्होंने विभाजन को लेकर कांग्रेस की आलोचना की है..! बाबा साहेब अंबेडकर भारत के विभाजन के पक्ष में नहीं थे। वे लगातार भारत को दो टुकड़ों में बांटे जाने का विरोध कर रहे थे। उन्होंने अपनी एक पुस्तक थॉट्स ऑन पाकिस्तान भी लिखी है, जिसमें उन्होंने विभाजन को लेकर कांग्रेस की आलोचना की है..!
आजादी के पूर्व तक बाबा साहेब आंबेडकर भले ही पूरी तरह से राजनीति में नहीं आए थे और समाज में दलितों के उत्थान के लिए लगातार काम रहे थे, लेकिन बावजूद इसके बाबा साहेब की तत्कालीन सियासत और वक्त दोनों पर पूरी नजर थी।
वे लगातार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और उनके बड़े नेताओं महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू की गलत और सही नीतियों की आलोचना कर रहे थे। यहां तक कि मुस्लिम लीग के मोहम्मद अली जिन्ना को भी उन्होंने नहीं बख्शा था। वैसे तो अंबेडकर की इन तीनों ही नेताओं से कई मुद्दों पर विरोध और असहमति थी, लेकिन सबसे बड़ा और अहम विरोध था भारत के विभाजन का।
दरअसल, अंबेडकर का भारत को देखने का बिल्कुल ही अलग नजरिया था। वे पूरे देश को अखंड देखना चाहते थे, इसिलए वे भारत के टुकड़े करने वालों की नीतियों के जबर्दस्त आलोचक रहे। भारत को दो टुकड़ों में बांटने की ब्रिटिश हुकूमत की साजिश और अंग्रेजों की हां में हां मिला रहे इन तीनों ही भारतीय नेताओं से वे इतने नाराज थे कि उन्होंने बाकायदा पाकिस्तान के विभाजन को लेकर एक पुस्तक थॉट्स ऑन पाकिस्तान’ लिखी जो बहुत ही चर्चा में आई।
खास बात यह है कि विभाजन पर उनका विरोध विशेष रूप से जिन्ना से सबसे ज्यादा निशाने पर थे। अंबेडकर का मानना था कि देश को दो भागों में बांटना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है और ऐसे विभाजन से राष्ट्र से ज्यादा मनुष्यता का नुकसान होगा। बड़े पैमाने पर हिंसा होगी, जो यकीनन विभाजन के दौरान हुई। इसके अलावा उनका यह भी मानना था कि कांग्रेस मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति अपनाते हुए ऐसा कदम उठा रही है। अपनी 1941 में आई पुस्तक थॉट्स ऑन पाकिस्तान में उन्होंने पूरी कांग्रेस और मुस्लिम लीग को ही कटघरे में खड़ा कर दिया।
यही नहीं अंबेडकर राष्ट्र के 'जियो कल्चरल कंसेप्ट' पर विश्वास करते थे। यानी की बाबा साहेब भारत को लेकर यह मानते थे कि भारत को प्रकृति ने ही एक एकल भौगौलिक ईकाई के रूप में बनाया है, लिहाजा उसे दो भागों में नहीं बांटा जाना चाहिए।
यकीनन राष्ट्र को लेकर अंबेडकर के विचार बेहद क्रांतिकारी तो थे ही, बल्कि वे पूर्ण और अखंड भारत की कल्पना करते थे। पाकिस्तान विभाजन को लेकर उनकी पुस्तक थॉट्स ऑन पाकिस्तान बेहद महत्वपूर्ण रही है।
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