भाजपा को, महाराष्ट्र घटनाक्रम से बहुआयामी लाभ मिलेंगे, नेतृत्व की साख बड़ी cm eknatha shinde
भाजपा को, महाराष्ट्र घटनाक्रम से बहुआयामी लाभ मिलेंगे, नेतृत्व की साख बड़ी
भाजपा का 2024 फतह पर काम , महाराष्ट्र और असली शिवसेना का सम्मान बरकरार रखा
निश्चित रूप से महाराष्ट्र में हाई प्रोफाईल पोलिटिकल घटनाक्रम, बिना हिंसा एक सुखद अंत को प्राप्त हुआ है । बहुत ही सोच समझ कर एक एक पैर फूंक फूंक कर रखा गया है। हर कदम सफल भी रहा और ऐतिहासिक अंत को प्राप्त हुआ है।
भाजपा के बारे में विपक्ष के द्वारा कहा जा रहा है कि वह राज्य सरकारों को गिरा कर अपनी सरकारें बना रहीं है । कर्नाटक, मध्यप्रदेश और राजस्थान के घटनाक्रम सबूत के तौर पर पेश किए जाते हैं ।
महाराष्ट्र में तो इससे भी बड़ा उलटफेर होनें जा रहा था, उसे समाज में स्वीकार्य तरीके से कैसे पूरा किया जाए यह चुनोती भी थी, जिसे भाजपा नें बहुत अच्छे तरीके से अंजाम तक पहुँचाया ।
कांग्रेस में महत्वाकांक्षा का संघर्ष चल रहा है, इसी का परिणाम मध्यप्रदेश, राजस्थान और पंजाब चले घटनाक्रम रहे हैं । वहीं शिवसेना में अतिअहंकार और मूल सोच से हटनें के चलते यह टूट हुई और पार्टी विभाजन तक पहुँच कर ही पूर्ण हुई।
अपमान की पराकाष्ठा तो यह थी कि 6-6 महीनें तक अपनी ही पार्टी के विधायकों से मुख्यमंत्री का नहीं मिलना, इंतजार कर रहे विधायकों को नजर अंदाज कर निकल जाना, बजट आबंटन में अपनी ही पार्टी को नुकसान पहुँचा लेना । यह व्यवहारिक समझ की कमी को ही दरसाता है।
शिवसेना से संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के कट्टर हिंदुत्व को छोड़ कर, हनुमान चालीसा के अपमान तक आ जाना एक गंभीरतम भूल थी या टर्निग प्वाइंट रहा है।
सच यह था कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे प्रतीकात्मक मुख्यमंत्री ही रहे, असली सत्ता सुख पूर्व में मुख्यमंत्री रह चुके शरद पंवार भोग रहे थे। वहां संवैधानिक व्यवस्थाएं समाप्त हो गईं थीं, अवैद्य धन कमाया जा रहा था, मंत्री जेलों में थे। महिलाओं से अपमानित व्यवहार किया जा रहा था। फ़िल्म और विज्ञापन इंड्रस्ट्रीज पर अंडरबल्ड का कब्जा फिर से मजबूत हो गया था। बागी हुए शिंदे ने खुले आम आरोप लगाया कि दाऊद के साथ उद्धव सरकार के संबन्ध हैं ।
मंत्रिमंडल चलानें के अनुभवहीन उध्दव ठाकरे , कूटनीतिज्ञ शरद पंवार की कठपुतली मात्र रह गए थे। जिसके चलते NCP और कांग्रेस के लोग आनंद कर रहे थे और शिवसेना के विधायक, सांसद तरस रहे थे। इसी से इतना बड़ा विस्फोट हुआ ।
महाराष्ट की जनता नें तो भाजपा शिवसेना गठबंधन को वोट दिया था। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस को ठुकरा दिया था । उद्धव की पूर्व नियोजित योजना के चलते , भाजपा से हाथ छुड़ा कर शिवसेना ने, पंवार और कांग्रेस का हाथ थाम लिया । अर्थात उद्धव सरकार खुद ही नापाक और अपवित्र सरकार थी । उद्धव नोसिखया मुख्यमंत्री साबित हो रहे थे सो शरद पंवार को आनंद आ गया ।
यूं तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर देवेंद्र फडणवीस को ही बनाया जाना चाहिए था। मगर भाजपा नेतृत्व को लगा होगा कि भविष्य में भाजपा सरकार को एकनाथ शिंदे गुट गिरा भी सकता है । जिसका असर 2024 लोकसभा चुनाव में गलत पड़ेगा। इसलिए शिंदे को मुख्यमंत्री बना कर समर्थन देना अधिक सुरक्षित माना गया । इसीलिए मुख्यमंत्री शिंदे को बनाया गया है, ताकि वे भविष्य में बगावत न कर पाएं।
निश्चित ही फडणवीस ने न चाहते हुए पार्टी निर्देश पर ज्यूनियर पद लिया, मगर असली मुख्यमंत्री भी वे ही रहनें वाले हैं।
इस तरह के अनेकों मुख्यमंत्री हैं जो बाद में मंत्री पद पर भी आए, अर्थात मंत्री बनें । इसलिये यह कोई नई बात नहीं है।
शिंदे को मुख्यमंत्री बना कर भाजपा नें सभी को चोंकाया है। बल्कि उसने महाराष्ट्र में अपनी जड़ें मजबूत की हैं, वहीं शिवसेना के अहंकार और हिंसा की धमकियों के साम्राज्य को भी ध्वस्त कर दिया है ।
कुल मिला कर भाजपा महाराष्ट्र घटनाक्रम में ऐतिहासिक सफल रही है, राष्ट्रपति चुनाव और 2023 के कई विधानसभा चुनावों सहित लोकसभा 2024 के आम चुनावों तक में भाजपा को फायदा मिलेगा । अब लगता है कि कांग्रेस 2024 से पहले सभी राज्यों से समाप्त हो जाये ।
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