देश की संस्थाओं को विफल करनें की आराजकता बंद हो - अरविन्द सिसौदिया
देश की संस्थाओं को विफल करनें की आराजकता बंद हो - अरविन्द सिसौदिया
Stop the chaos of failing the institutions of the country - Arvind Sisodia
राहुल गांधी से ईडी पूछताछ करे तो सडकों पर प्रदर्शन, सोनिया गांधी से ईडी पूछ ताछ करे तो सडकों पर प्रदर्शन - आगजनी,खनन माफियाओं को रोकें पर पुलिस डीएसपी पर गाडी चडा कर हत्या करदो, गौवंश हत्या के लिये अवैद्य तस्करी रोकों तो पुलिस पर गाडी चडा दो। पुलिस गिरफतार करनें पहुंचे तो पत्थरबाजी करदो । अर्थात जो में चाहता हूं , वह करूं भले ही वह देश के कानून, विधान, संविधान में अपराध हो,मुझ पर कानूनी कार्यवाही भी नहीं हो। इसी मानसिकता को तानाशाही कहा जाता है।
If the ED interrogates Rahul Gandhi, then protests on the streets, if the ED asks Sonia Gandhi, then protests on the streets - stop the arson, mining mafia, but kill the police by driving the DSP, stop illegal smuggling for cow slaughter, then car on the police Give it up When the police come to arrest, throw stones. That is, whatever I want, I should do that even if it is a crime in the law, legislation, constitution of the country, I should not even take legal action against me. This mentality is called dictatorship.
यह प्रवृति देश में कम से कम 1947 से चली आ रही है और इसका नेतृत्व कांग्रेस ने एक राजनैतिक दल और केन्द्र तथा राज्यों में सरकार के रूप में किया और वही व्यवहार वह विपक्ष के रूप में करेगी। कल को न्यायालय में उन पर विचार होगा तो बाहर प्रदर्शन होंगे। कल को उन पर संसद में कोई प्रश्न खडा होगा तो प्रदर्शन होंगे।
This trend has been going on in the country since at least 1947 and it was led by the Congress as a political party and government at the Center and in the states and would behave the same way as the opposition. If they are considered in the court tomorrow, then there will be demonstrations outside. Tomorrow, if any question is raised on him in Parliament, then there will be demonstrations.
आखिर अपराध के पक्ष में, अपराध की जांच रोकनें के पक्ष में जब देश का सबसे पुराना दल सडकों पर आराजकता उत्पन्न करे तो सहज ही प्रश्न उठता है कि लोकतंत्र की बात थोथी है। लोकतंत्र के बहाने लूटतंत्र चल रहा है। देश की संस्थाओं को विफल करनें की आराजकता बंद होनी चाहिये।
After all, in favor of crime, in favor of stopping the investigation of crime, when the oldest party of the country creates chaos on the streets, then the question naturally arises that the talk of democracy is false. Looting is going on under the pretext of democracy. The anarchy of failing the institutions of the country should stop.
Stop the chaos of failing the institutions of the country - Arvind Sisodia
राहुल गांधी से ईडी पूछताछ करे तो सडकों पर प्रदर्शन, सोनिया गांधी से ईडी पूछ ताछ करे तो सडकों पर प्रदर्शन - आगजनी,खनन माफियाओं को रोकें पर पुलिस डीएसपी पर गाडी चडा कर हत्या करदो, गौवंश हत्या के लिये अवैद्य तस्करी रोकों तो पुलिस पर गाडी चडा दो। पुलिस गिरफतार करनें पहुंचे तो पत्थरबाजी करदो । अर्थात जो में चाहता हूं , वह करूं भले ही वह देश के कानून, विधान, संविधान में अपराध हो,मुझ पर कानूनी कार्यवाही भी नहीं हो। इसी मानसिकता को तानाशाही कहा जाता है।
If the ED interrogates Rahul Gandhi, then protests on the streets, if the ED asks Sonia Gandhi, then protests on the streets - stop the arson, mining mafia, but kill the police by driving the DSP, stop illegal smuggling for cow slaughter, then car on the police Give it up When the police come to arrest, throw stones. That is, whatever I want, I should do that even if it is a crime in the law, legislation, constitution of the country, I should not even take legal action against me. This mentality is called dictatorship.
यह प्रवृति देश में कम से कम 1947 से चली आ रही है और इसका नेतृत्व कांग्रेस ने एक राजनैतिक दल और केन्द्र तथा राज्यों में सरकार के रूप में किया और वही व्यवहार वह विपक्ष के रूप में करेगी। कल को न्यायालय में उन पर विचार होगा तो बाहर प्रदर्शन होंगे। कल को उन पर संसद में कोई प्रश्न खडा होगा तो प्रदर्शन होंगे।
This trend has been going on in the country since at least 1947 and it was led by the Congress as a political party and government at the Center and in the states and would behave the same way as the opposition. If they are considered in the court tomorrow, then there will be demonstrations outside. Tomorrow, if any question is raised on him in Parliament, then there will be demonstrations.
आखिर अपराध के पक्ष में, अपराध की जांच रोकनें के पक्ष में जब देश का सबसे पुराना दल सडकों पर आराजकता उत्पन्न करे तो सहज ही प्रश्न उठता है कि लोकतंत्र की बात थोथी है। लोकतंत्र के बहाने लूटतंत्र चल रहा है। देश की संस्थाओं को विफल करनें की आराजकता बंद होनी चाहिये।
After all, in favor of crime, in favor of stopping the investigation of crime, when the oldest party of the country creates chaos on the streets, then the question naturally arises that the talk of democracy is false. Looting is going on under the pretext of democracy. The anarchy of failing the institutions of the country should stop.
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