राष्ट्रपति चुनाव में बयानवाजी नहीं होनी चाहिये - अरविन्द सिसोदिया
राष्ट्रपति चुनाव में बयानवाजी नहीं होनी चाहिये - अरविन्द सिसोदिया
There should be no rhetoric in the presidential election - Arvind Sisodia
भारत में राष्ट्रपति चुनाव चल रहे हैं, प्रत्याशी जन समर्थन प्राप्त करने हेतु प्रदेशों एवं पार्टियों से सम्पर्क कर रहे हैं। इस दौरान उनके बयान एवं प्रतिक्रियाओं के साथ साथ , इन प्रत्याशियों के विरूद्ध भी अनेकों प्रकार की टिप्पणीयां सामने आ रही हैं। जो कि पूरी तरह से गलत है।
Presidential elections are going on in India, candidates are contacting states and parties to get public support. During this, along with their statements and reactions, many types of comments are coming out against these candidates as well. Which is completely wrong.
महामहिम राष्ट्रपति राष्ट्रीय गरिमा से जुडा सर्वोच्च पद है, वह पार्टी अथवा व्यक्ति का नहीं बल्कि सम्पूर्ण देश का प्रमुख होता है। उनके माध्यम से देश बोलता है,व्यवहार करता है। पक्ष का हो विपक्ष का हो मगर वह बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है। उसकी गरिमा देश की गरिमा से जुडी होती है। इस पद के प्रत्याशी को भी बयानवाजी से बचना चाहिये और इनके विरूद्ध बयानवाजी भी नहीं होनी चाहिये।
His Excellency the President is the highest office associated with national dignity, he is not the head of the party or the individual but the head of the entire country. Through them the country speaks and behaves. Be it for the opposition, but he is a very important person. His dignity is linked with the dignity of the country. The candidate for this post should also avoid rhetoric and there should be no rhetoric against him.
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा बाहियात की बयानवाजी कर रहे हैं। जिसकी कोई जरूरत नहीं है। कांग्रेस के एक नेता ने आदिवासियों के संदर्भ ईसाई मिशनरी के धर्मान्तरण करवाने वाले एक व्यक्ति से तक जोड कर एनडीए प्रत्याशी का विरोध तक कर दिया, जो कि कदापी उचित नहीं है। गलत और झूठ का प्रयोग कोई कैसे कर सकता है।
Presidential candidate Yashwant Sinha is making rhetoric of Bahiyat. Which is not needed. A Congress leader even linked the reference of tribals to a person who converted a Christian missionary and opposed the NDA candidate, which is not fair at all. How can one use false and false.
निर्वाचन अधिकारियों को उपरोक्त संदर्भ में प्रभावी नियमावली तय करके लागू करनी चाहिये।
The election officers should fix and implement effective rules in the above context.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें