खाद्यान्न और उर्वरकों का पर्याप्त भंडार रखना आवश्यक - अरविन्द सिसोदिया
खाद्यान्न और उर्वरकों का पर्याप्त भंडार रखना आवश्यक - अरविन्द सिसोदिया
इस समय संपूर्ण विश्व में जिस तरह की उत्पादन संबंधी आअराजकता फैली हुई है, जिस तरह के भंडारण संबंधी अराजकता फैली हुई है या जिस तरह से माल को डंप करने की अराजकता फैली हुई है । उसमें सभी देश अपने अपने हितों के लिए, अपने अपने नागरिकों की जरूरत की पूर्ति के लिए, सामग्री को , माल को , उत्पादन को, रोके हुए हैं ।
इन परिस्थितियों में भारत को भी अपना खाद्यान्न अर्थात गेहूं और धान को पर्याप्त मात्रा में रोक के रखना होगा और वही खाद्यान्न के उत्पादन के लिए अत्यंत आवश्यक उर्वरकों को जिसमें यूरिया, डीएपी जो कि अत्यंत महत्वपूर्ण है । उनके भी पर्याप्त भंडारण रखनें होंगे। उर्वरकों का भी पर्याप्त मात्रा में आयात करना चाहिए ।
श्रीलंका की स्थिति बिगड़ने का मूल कारण यही रहा कि श्रीलंका के पास विदेशी मुद्रा कम थी, श्रीलंका की सरकार ने विदेशी मुद्रा के अभाव में उर्वरकों का आयात बंद करके और वहां के लाखों किसानों से कहा कि आप सादा खाद का उपयोग करें । पहली चीज तो सादा खाद पर्याप्त मात्रा में कहीं होता ही नहीं है । यह एक बहुत भ्रम है कि सादा आर्गेनिक खाद बहुत मात्रा में होता है । क्योंकि सादा खाद तो बहुत ही कम अर्थात न्यूनतम मात्रा में ही होता है । वह किसानों की आवश्यकता की मामूली पूर्ति भी नहीं कर पाता है । जो कार्य उर्वरक करते हैं , वह कार्य आर्गेनिक खाद नहीं कर पाता। यूरिया और डीएपी से फसलों के लिए नाइट्रोजन और फास्फोरस सबसे मुख्य रूप से मिलता है, जिससे फसलों का उत्पादन बहुत अच्छा होता है ।
श्रीलंका ने इन उर्वरकों का निर्यात बंद कर दिया था और इसके कारण श्रीलंका में पूरी तरह से फसलों का उत्पादन प्रभावित हो गया । वहां मूल उत्पादन में भारी गिरावट हुई। सही कुछ कहना मुश्किल है , क्यों कि आंकड़े सामनें नहीं आये । इसके कारण वहां अचानक खाद्यान्न की कमी का इतना बड़ा संकट खड़ा हो गया की भुखमरी , मंहगाई और लूटपाट के हालत बन गए ।
हालांकि भारत सरकार और उसका मंत्री मंडल अत्यंत सतर्क, निष्ठावान और जिम्मेवार है , वह आवश्यकता एवं आपूर्ति पर निरन्तर ध्यान रखे हुए हैं । प्रधानमंत्री स्वयं भी निरंतर सतर्क रहते हैं। इसी कारण अभी तक भारत में वह महंगाई और अभावों की अराजकता नहीं आ पाई जो कि कई अन्य देशों में देखनें को मिल रही है।
किंतु सावधानी निरंतर इसलिए रखनी होगी कि विश्व व्यवस्था में अभी भी सब कुछ सामान्य नहीं हुआ है । कोरोना ने भी दोबारा से करवट लेना प्रारंभ कर दिया है, भारत अच्छे और सच्चे वैक्सीन से बचाव किये हुए है।
इसके अलावा युद्ध का भी मामला चल रहा है और आने वाले समय में भी दूसरे युद्ध और बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं । अन्य देशों की विविध प्रकार की समस्याएं भी दृष्टिगोचर हो रही हैं । विश्व में विविध प्रकार के गुट भले ही बन गए हो और वे एक दूसरे के साथ खड़े हैं। लेकिन वास्तविक रूप में कौन किसके साथ खड़ा है ।
सच यह है कि हर देश अपने अपने हित और अपने अपने स्वार्थ की चिंता कर रहा है और करना भी चाहिए । और इसी दृष्टिकोण से भारत सरकार को अपने देश की आवश्यकता एवं आपूर्ति को व्यवस्थित बनाए रखना है ।
महंगाई पर नियंत्रण रखने के लिए भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था रखने के लिए , खाद्यान्नों का निर्यात पर विशेष रूप से ध्यान रखना होगा । उस पर कंट्रोल रखना होगा । पर्याप्त खाद्यान्न देश में रहे ।
वही उर्वरकों के आयात कर उनकी आवश्यकता को पूर्ति के लिए प्रारंभ में ही, ऑर्डर देकर के माल मंगा कर के अपने देश में भंडारित करना होगा ।
इस तरह की पद्धति से ही हम देश को लंबे समय तक महंगाई से बचा के रख सकते हैं ।
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