मेरी दृष्टि में नरेन्द्र मोदी "शबरी के श्रीराम " हो गये
मेरी दृष्टि में नरेन्द्र मोदी जी "शबरी के श्रीराम " हो गये ।
निश्चित ही मेरे इन शब्दों का अर्थ अतिरेक के रूप में निकाला जाएगा । अन्यथा भी लिया जायेगा । मगर मुझे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मेरी संस्कृति देती है। इसलिये जो मुझे कहना है, में कहूंगा । ये मेरे अंतर्मन की आवाज है।
जिस दिन वनवासी समाज के अत्यंत साधारण स्वरूप वाली विधवा महिला श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को विश्व की सबसे बडी राजनीतिक पार्टी भाजपा ने महामहिम राष्ट्रपति के पद हेतु चयन किया, उन्हे महामहिम राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया। इस दिन भारत माता ने सबसे ज्यादा गर्वित हुई और उसनें असीम आर्शीवाद भाजपा नेतृत्व को दिया,विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को,जिनकी बिना सहमति के यह संभव नहीं था। यह भाजपा ही है जिसमें भारतीय संस्कृति के अन्त्योदय अर्थात अंतिम व्यक्ति तक को सम्मान और उत्थान के भाव की पूर्ति का लक्ष्य निहित है। अर्थात भाजपा का भी सम्मान विश्व में कई गुणा बडा है।
एक कविता : -
आप मुर्मूजी को राष्ट्रपति बना कर,भारत का पैग़ाम हो गये।
मेरी दृष्टि में नरेंद्र मोदी “शबरी के श्रीराम“ हो गये।
अपना देश, करोडों वर्षों से वनवासी ही है,
चिन्तन मनन अध्ययन और अनुसंधान की थाती है।
गांवों में रहता है और खेतीबाड़ी करता है।
वन की बेटी मुर्मूजी के सिर पर ताज रख कर,
मेरी दृष्टि में नरेंद्र मोदी “ शबरी के श्रीराम“ हो गये।
भारत माता हर्षित हुई कई दशकों बाद,
अन्त्योदय के साकार चित्र से,
राष्ट्रीय गरिमा भर गई आनन्द के असीम उल्लास से,
अमृतघट की पवित्रता का पुण्य प्रणाम हो गये।
मेरी दृष्टि में नरेंद्र मोदी “शबरी के श्रीराम“ हो गये।
इस घटना ने हमें श्री राम युग की वह याद दिला दी तब प्रभु श्री राम वनवासी शबरी की कुटिया पर पहुंचे थे और उनके झूठे बेरों को खाया कर उनका सम्मान बढ़ाया था और उन्हे नवधा भक्ति का ज्ञान दिया था ।
प्रथम धन्यवाद तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को ही जाता है, जहां नर को नारायण बना देने का लोक शिक्षण होता है। संघ ने लाखों इस तरह के स्वयंसेवक भारत को दिये जो प्रतिदिन अपने को गला कर, नष्ट करके, व्यय करके, भारत माता को “परम वैभव“ पर आसीन करने में तल्लीन हैं। कई पीढ़ियां खप गई, अनवरत परिश्रम का पुरुषार्थ होता रहा । उन्ही में कुछ भाजपा को राष्ट्र निर्माण हेतु मिले और भाजपा सबल भारत का निर्माण कर रही है।
कांग्रेस के पास कई दशकों तक केंद्र की सत्ता रही, वह भी चाहती तो आदिवासी वनवासी समाज को यह प्रतिष्ठा दे सकती थी। किन्तु वह चूक कई । सबसे बड़ी चूक तो उससे यह हुई कि वह श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को निर्विरोध राष्ट्रपति चुनवा कर अपनी भूल सुधार कर सकती थी। कांग्रेस नेतृत्व भले ही चूका मगर उसके अनेकों जनप्रतिनिधियों ने मुर्मू को अपना मत देकर, कांग्रेस नेतृत्व को संदेश दे दिया कि उनके अन्दर जो भारतीय संस्कृति है, उसे कोई समाप्त नहीं कर सकता।
भारत के इतिहास में यह घटना स्वर्ण अक्षरों में लिखी जायेगी। भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का नाम युगों युगों तक याद रहेंगे।
याद रहे भारत का प्रत्येक नागरिक आदिवासी ही है, वनवासी ही है, भारत हमेशा ही वनों में रहता है । शहरीकरण तो बहुत सूक्ष्म है । आज जिन्हे गांव कहा जाता है वे सभी वनों का ही हिस्सा है । देश की 70 प्रतिशत आबादी आज गांव , वन , कृषि, पशुपालन पर ही आश्रित है । इसलिये वनवासी होना,आदिवासी होना हमें तो गर्व महसूस कराता है ।
भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कोटिशः धन्यवाद जिन्होंने देश के सर्वोच्च सिंहासन पर वनवासी वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाली शिव भक्त श्रीमती द्रोपदी मुर्म जी को महामहिम बना कर गरिमा प्रदान की। धंन्यवाद उन सभी विभूतियों का जिन्होंने इस ऐतिहासिक यज्ञ ऐसा अपना भी योगदान दिया ।
सादर ।
आपका
अरविन्द सिसोदिया
राधा कृष्ण मंदिर रोड,
डडवाडा, कोटा जं0 राजस्थान
2341002
मो. 9414180151
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें