Great example of bravery : Indian Army "General Sagat Singh" " जनरल सगत सिंह "
शौर्य की अदभुत मिशाल भारतीय सेना के सर्वकालीन महानतम जनरल " जनरल सगत सिंह "
Great example of bravery, the greatest general of the Indian Army "General Sagat Singh"
शौर्य की अदभुत मिशाल भारतीय सेना के सर्वकालीन महानतम जनरल " जनरल सगत सिंह "
Great example of bravery, the greatest general of the Indian Army "General Sagat Singh"
भारतीय सेना के सर्वकालीन महानतम जनरल " जनरल सगत सिंह " को उनके जन्म दिवस पर हमारी श्रद्धांजलि ।
Our tribute to the greatest General of the Indian Army "General Sagat Singh" on his birthday.
बांग्लादेश विजय इनकी देन थी । भारतीय सेना ढाका पर कब्जा नही करने वाली थी लेकिन सगत सिंह ने ऊपर के आदेश को दरकिनार करते हुए मेघना नदी को पार कर लिया और ढाका की तरफ बढ़ चले । ढाका का पतन ही सगत की वजह से हुआ लेकिन उनको सम्मान नही मिला ।
Bangladesh victory was his gift. The Indian army was not going to capture Dacca but Sagat Singh, bypassing the above orders, crossed the Meghna river and proceeded towards Dacca. The downfall of Dhaka was due to Sagat but he did not get respect.
ढाका से पहले सगत मिजोरम में विद्रोही संगठनों को समर्पण करने पर मजबूर कर चुके थे ।
Before Dhaka, Sagat had forced the insurgent organizations in Mizoram to surrender.
भारत पाक युद्ध के समय चीन पूर्वोत्तर में समस्या खड़ी कर रहा था जिसको देख सेना मुख्यालय ने दो डिवीजन के कमांडर को अपनी पोस्ट खाली करने का हुक्म दिया । एक कमांडर पीछे हट गए और जेलेप ला दर्रा चीनियों के पास चला गया जबकि सगत ने पीछे हटने से इंकार कर दिया। 1967 में नाथू ला जो सिक्किम में है वहां सगत ने ही चीनी सेना को पहली बार हराया था । जब उन्होंने मुख्यालय से संपर्क तोड़ चीनियों पर तोप से हमले का हुक्म दे दिया था।
During the Indo-Pak war, China was creating problems in the Northeast, seeing that the Army Headquarters ordered the commander of the two divisions to vacate his post. One of the commanders retreated and the Jelep La Pass went to the Chinese while Sagat refused to back down. In 1967, Sagat defeated the Chinese army for the first time at Nathu La which is in Sikkim. When he broke off contact with the headquarters, he ordered a cannon attack on the Chinese.
गोवा लिबरेशन में सगत सिंह पारा ब्रिगेड को कमांड कर रहे थे और इनकी पलटन सबसे पहले पंजिम पहुंच गई थी । पुर्तगाली सरकार ने इन पर दस हजार डॉलर का इनाम तक रख दिया दिया ।
Sagat Singh was commanding the Para Brigade in Goa Liberation and his platoon was the first to reach Panjim. The Portuguese government even put a reward of ten thousand dollars on them.
सगत सिंह का जन्म चुरू राजस्थान के राठौड़ परिवार में हुआ और अपने करियर की शुरुवात बीकानेर रियासत की गंगा रिसाला में नायक के पद से किया और भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल तक पहुंचे।
Sagat Singh was born in the Rathore family of Churu Rajasthan and started his career as a Naik in Ganga Risala of Bikaner princely state and rose to lieutenant general in the Indian Army.
सगत जैसा मिलिट्री रिकॉर्ड भारतीय सेना में किसी का नही । जिन्हे फील्ड मार्शल होना था उन्हें फुल जनरल भी नही बनाया गया । सगत का नाम गुमनामी के अंधेरे में खो गया था । पर अब लोग उन्हें दुबारा याद कर रहे हैं ।
There is no military record like Sagat in the Indian Army. Those who were to be field marshals were not even made full generals. Sagat's name was lost in the darkness of oblivion. But now people are remembering him again.
भारतीय सेना ने भी अपने महानतम जनरल को पूरे मान सम्मान के साथ याद करना शुरू कर दिया है कुछ वर्षो से।
Indian Army has also started remembering its greatest General with full respect since few years.
सगत का योगदान भारत सरकार आधिकारिक रूप से भारतीय जनता को बताए और उन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि दे यही न्याय होगा और उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
The Government of India should officially tell the contribution of Sagat to the Indian public and give him the title of Field Marshal, this will be justice and a true tribute to him.
Great example of bravery, the greatest general of the Indian Army "General Sagat Singh"
भारतीय सेना के सर्वकालीन महानतम जनरल " जनरल सगत सिंह " को उनके जन्म दिवस पर हमारी श्रद्धांजलि ।
Our tribute to the greatest General of the Indian Army "General Sagat Singh" on his birthday.
बांग्लादेश विजय इनकी देन थी । भारतीय सेना ढाका पर कब्जा नही करने वाली थी लेकिन सगत सिंह ने ऊपर के आदेश को दरकिनार करते हुए मेघना नदी को पार कर लिया और ढाका की तरफ बढ़ चले । ढाका का पतन ही सगत की वजह से हुआ लेकिन उनको सम्मान नही मिला ।
Bangladesh victory was his gift. The Indian army was not going to capture Dacca but Sagat Singh, bypassing the above orders, crossed the Meghna river and proceeded towards Dacca. The downfall of Dhaka was due to Sagat but he did not get respect.
ढाका से पहले सगत मिजोरम में विद्रोही संगठनों को समर्पण करने पर मजबूर कर चुके थे ।
Before Dhaka, Sagat had forced the insurgent organizations in Mizoram to surrender.
भारत पाक युद्ध के समय चीन पूर्वोत्तर में समस्या खड़ी कर रहा था जिसको देख सेना मुख्यालय ने दो डिवीजन के कमांडर को अपनी पोस्ट खाली करने का हुक्म दिया । एक कमांडर पीछे हट गए और जेलेप ला दर्रा चीनियों के पास चला गया जबकि सगत ने पीछे हटने से इंकार कर दिया। 1967 में नाथू ला जो सिक्किम में है वहां सगत ने ही चीनी सेना को पहली बार हराया था । जब उन्होंने मुख्यालय से संपर्क तोड़ चीनियों पर तोप से हमले का हुक्म दे दिया था।
During the Indo-Pak war, China was creating problems in the Northeast, seeing that the Army Headquarters ordered the commander of the two divisions to vacate his post. One of the commanders retreated and the Jelep La Pass went to the Chinese while Sagat refused to back down. In 1967, Sagat defeated the Chinese army for the first time at Nathu La which is in Sikkim. When he broke off contact with the headquarters, he ordered a cannon attack on the Chinese.
गोवा लिबरेशन में सगत सिंह पारा ब्रिगेड को कमांड कर रहे थे और इनकी पलटन सबसे पहले पंजिम पहुंच गई थी । पुर्तगाली सरकार ने इन पर दस हजार डॉलर का इनाम तक रख दिया दिया ।
Sagat Singh was commanding the Para Brigade in Goa Liberation and his platoon was the first to reach Panjim. The Portuguese government even put a reward of ten thousand dollars on them.
सगत सिंह का जन्म चुरू राजस्थान के राठौड़ परिवार में हुआ और अपने करियर की शुरुवात बीकानेर रियासत की गंगा रिसाला में नायक के पद से किया और भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल तक पहुंचे।
Sagat Singh was born in the Rathore family of Churu Rajasthan and started his career as a Naik in Ganga Risala of Bikaner princely state and rose to lieutenant general in the Indian Army.
सगत जैसा मिलिट्री रिकॉर्ड भारतीय सेना में किसी का नही । जिन्हे फील्ड मार्शल होना था उन्हें फुल जनरल भी नही बनाया गया । सगत का नाम गुमनामी के अंधेरे में खो गया था । पर अब लोग उन्हें दुबारा याद कर रहे हैं ।
There is no military record like Sagat in the Indian Army. Those who were to be field marshals were not even made full generals. Sagat's name was lost in the darkness of oblivion. But now people are remembering him again.
भारतीय सेना ने भी अपने महानतम जनरल को पूरे मान सम्मान के साथ याद करना शुरू कर दिया है कुछ वर्षो से।
Indian Army has also started remembering its greatest General with full respect since few years.
सगत का योगदान भारत सरकार आधिकारिक रूप से भारतीय जनता को बताए और उन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि दे यही न्याय होगा और उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
The Government of India should officially tell the contribution of Sagat to the Indian public and give him the title of Field Marshal, this will be justice and a true tribute to him.
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