नहीं मिला राजस्थान को पूर्णकालिक नया गृहमंत्री, कानून व्यवस्था में सुधार के आसार नहीं - अरविन्द सिसोदिया


भाजपा राजस्थान के प्रभारी राष्ट्रीय महामंत्री राज्यसभा सांसद अरुण सिंह ने कोटा प्रवास के दौरान राजस्थान की गहलोत सरकार के नए मंत्रिमंडल को लेकर के उपेक्षापूर्ण कटाक्ष किया था कि " राजस्थान को नया गृहमंत्री मिल जाएगा और राजस्थान से जंगलराज समाप्त हो जाएगा । " किंतु अब राजस्थान के नए मंत्रिमंडल के विभागों का बंटवारा सामने आगया है, एक बार फिर गृहमत्री के रूप में अशोक गहलोत ने स्वयं को ही रखा है अर्थात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास ही गृह मंत्रालय रहा है । इस प्रकार राजस्थान में कानून व्यवस्था में सुधार की बहुत ज्यादा उम्मीद,अपेक्षा नहीं की जा सकती । 
  एक मुख्यमंत्री के पास बहुत सारे मंत्रालयों के साथ साथ पूरे प्रदेश की अपेक्षाओं और पार्टी की आवश्यकताओं का भी अतिरिक्त भार रहता है । इस कारण से उस मन्त्रिमण्डल को श्रेष्ठ माना जाता है , जिसमें कम से कम मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास रहें । 
 
  ताकि वह अपना समय लोककल्याणकारी योजनाओं व्यवस्थाओं के चिंतन मंथन अध्ययन में लगा सके । प्रशासनिक दक्षता और प्रतिबद्धताओं को समय दे सकें ।

 किन्तु मुख्यमंत्री गहलोत गत तीन सालों से अपनी ही पार्टी और अपने ही विधायकदल में चल रही उठापटक में इतने व्यस्त रहे कि सरकार भगवान भरोसे चल रही है । 

इसी कारण से राजस्थान में पिछले 3 वर्षों में कानून व्यवस्था बिगड़ी हुई है। थाने और प्रशासन के अन्य क्षेत्रों में जिस तरह से रिश्वतखोर पकड़े जा रहे हैं । उससे भी स्पष्ट है कि राजस्थान की कानून व्यवस्था भ्रष्टाचार में लिप्त है । 

नए मंत्रिमंडल से यह अपेक्षा थी कि प्रशासन ठीक होगा । उसमें कुछ नया परिवर्तन आएगा। गृहमंत्री नया मिल जाएगा जो पूर्णकालिक होगा और प्रतिबद्धताओं के प्रति समर्पित होकर सरकार चलेगी ।

 लेकिन ऐसा देखने में नहीं मिल रहा है क्योंकि सरकार के मुख्य पार्ट मुख्यमंत्री , गृह मंत्री और वित्त मंत्री जैसे विभाग एक व्यक्ति के पास है । वह इन विभागों से न्याय नहीं कर पायेगा । क्योंकि मुख्यमंत्री  अत्यंत व्यस्त पद है ।

मुख्यमंत्री के पास कई महत्वपूर्ण विभाग होनें से , उनकी व्यस्तता ज्यादा रहेगी और वे सरकार के रूपमें जनता से पूर्ण न्याय नहीं कर पायेंगे । इस दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह स्पष्ट है कि की राजस्थान में कोई बहुत अच्छी सरकार नहीं चलने वाली । अभी तक गहलोत सरकार का सब कुछ भगवान भरोसे चला रहा था , यही आगे भी देखने को मिलेगा ।

1. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत : वित्त एवं टैक्सेशन, गृह एवं न्याय, कार्मिक विभाग, सामान्य प्रशासन विभाग, कैबिनेट सचिवालय, एनआरआई, आईटी एवं कम्युनिकेशन, सूचना एवं जनसंपर्क

2. बी.डी. कल्ला : एजुकेशन, संस्कृत शिक्षा, आर्ट एंड कल्चर व एएसआई
3. शांति धारीवाल : स्वायत्त शासन, नगरीय विकास एवं हाउसिंग, कानून, इलेक्शन
​​​​​4. परसादी लाल मीणा : मेडिकल एंड हेल्थ, एक्साइज
5. लालचंद कटारिया : कृषि एवं पशुपालन व मत्स्य
6. प्रमोद जैन भाया : खान एवं पेट्रोलियम व गोपालन विभाग
7. उदय लाल आंजना: सहकारिता विभाग
8. प्रताप सिंह खाचरियावास: खाद्य एवं आपूर्ति विभाग
9. सालेह मोहम्मद: अल्पसंख्यक मामलात विभाग
10. हेमाराम चौधरी: वन एवं पर्यावरण मंत्री
11. महेंद्रजीत सिंह मालवीया: जल संसाधन विभाग
12. महेश जोशी: पीएचईडी विभाग
13. रामलाल जाट: राजस्व विभाग
14. रमेश मीणा: पंचायती राज एवं ग्रामीण
15. विश्वेंद्र सिंह: पर्यटन विभाग
16. ममता भूपेश: महिला एवं बाल विकास विभाग
17. भजनलाल जाटव: सार्वजनिक निर्माण विभाग
18. टीकाराम जूली: सामाजिक सुरक्षा विभाग
19. गोविंद राम मेघवाल: आपदा प्रबंधन विभाग
20. शकुंतला रावत: उद्योग मंत्री
21. अर्जुन सिंह बामनिया: ट्राइबल एरिया डेवलपमेंट (स्वतंत्र प्रभार), पीएचडी, भूजल राज्य मंत्री
22. अशोक चांदना: खेल मंत्री, स्किल डेपलपमेंट, रोजगार (स्वतंत्र प्रभार), जनसंपर्क, आपदा प्रबंधन, योजना राज्य मंत्री
23. भंवर सिंह भाटी: ऊर्जा (स्वतंत्र प्रभार) वाटर रिसोर्स, इंदिरा गांधी नहर परिजना (राज्य मंत्री)
24. राजेंद्र सिंह यादव, हायर एजुकेशन, योजना (स्वतंत्र प्रभार) गृह राज्य मंत्री
25. सुभाष गर्ग: तकनीकी शिक्षा, आयुर्वेद (स्वतंत्र प्रभार) अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री
26. सुखराम विश्नोई: श्रम (स्वतंत्र प्रभार) राजस्व राज्य मंत्री
27. बृजेंद्र ओला: ट्रांसपोर्ट एंड रोड सेफ्टी (स्वतंत्र प्रभार)
28. मुरारीलाल मीणा: एग्रीकल्चर मार्केटिंग, स्टेट (स्वतंत्र प्रभार), टूरिज्म, सिविल एविएशन (राज्य मंत्री)
29.राजेंद्र सिंह गुढ़ा: सैनिक कल्याण, होम गार्ड एंड सिविल डिफेंस (स्वतंत्र प्रभार), पंचायती राज व रूरल डेवलपमेंट (राज्य मंत्री)

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