महबूबा मुफ्ती, भारत में नेहरू नहीं;अब मोदी सरकार है - अरविन्द सिसौदिया
कभी तालिवान, कभी आतंकवाद एवं कभी पाकिस्तान और अब लगभग कांग्रेस की ही भाषा का इस्तेमाल कर रहीं महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि जम्मू कश्मीर के लोगों ने ’’हमारी किस्मत का फैसला महात्मा गांधी के भारत के साथ किया था, जिसने हमें अनुच्छेद 370 दिया, हमारा अपना संविधान और ध्वज दिया’’ तथा (नाथूराम) गोडसे के साथ नहीं रह सकतें।“
वे संभवतः भूल रहीं है लाखों वर्ष पूर्व से ही हिन्द भूमि जम्मू और कश्मीर है, 1947 में भी भारतीय सेना के शौर्य एवं उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की दृढता और महाराजा हरी सिंह जी के विलय के निर्णय से वह भारत में पूर्ण रूप से सम्मिलित हुआ है। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने तो सखा प्रेम में इसे विषेश दर्जा देकर संर्घषक्षेत्र में बदल दिया था। जिसकी अशांती आज तक भी यह भुगत रहा है। उस गलती को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने सुधार लिया है। महबूबा मुफ्ती को यह याद रखना चाहिये कि अब भारत में नेहरू सरकार नहीं है । अब भारत में मोदी सरकार है।
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जम्मू और कश्मीर हिंदुत्व की ही बपौती
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जम्मू और कश्मीर हिंदुत्व की ही बपौती
कश्मीर और उनके भी पूर्वज हिन्दू थे ! समस्त जम्बू दीप यानि कि एशिया महादीप सनातन संस्कृति था ! अफगानिस्थान से लेकर सुदूर म्यमांर मलेशिया इंडोनेशिया तक जो बड़ी बड़ी बोद्ध प्रतिमाएं है या नष्ट की हैं वे चीख चीख कर कह रहीं हैं की यह सारा का सारा प्रायदीप सनातन सभ्यता का हैं ! इसलिये ये समझलें कि मानव सभ्यता के जन्म से कश्मीर हिंदुत्व की बपौती है !
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पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने (24.11.2024को) केंद्र से कहा कि अगर वह ‘कश्मीर रखना’ चाहता है तो अनुच्छेद 370 बहाल करे और कश्मीर मुद्दे का हल करे। उन्होंने कहा कि लोग ‘अपनी पहचान और सम्मान’ वापस चाहते हैं और वह भी ब्याज के साथ।
महबूबा ने लोगों से एकजुट होने और ‘संविधान का दिया विशेष दर्जा बहाल करने के समर्थन में उनके संघर्ष, लोगों की पहचान और सम्मान की सुरक्षा’ के लिए अपनी आवाज मुखर करने को कहा। उन्होंने कहा, ‘आप कश्मीर को लाठी या बंदूक के दम पर नहीं रख सकते. महाशक्ति अमेरिका अपनी ताकत के बल पर अफगानिस्तान में शासन करने में नाकाम रहा और उसे वहां से जाना पड़ा।’
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श्रीनगर मुठभेड़ः महबूबा के आरोप पर डीजीपी का पलटवार,
डीजीपी दिलबाग सिंह - कुछ लोग सच जानते हुए भी अफवाह फैलाते हैं
पीडीपी(पीपुल्ल डेमोक्रेटिक पार्टी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती के रामबाग इलाके में हुई मुठभेड़ पर दिए गए बयान को लेकर डीजीपी दिलबाग सिंह ने प्रतिक्रिया दी है। सिंह ने कहा कि घाटी में कुछ लोग हैं जो वास्तविकता जानते हैं, फिर भी उससे परे बात करते हैं। आतंकियों के मारे जाने को लेकर सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाते हैं। साथ ही आतंकियों को निर्दोष बताते हुए उनके प्रति सहानुभूति दिखाते हैं।
सिंह ने कहा कि रामबग मुठभेड़ में तीन आतंकी मारे गए थे। जिसमें मारा गया मेहरान श्रीनगर के डाउनटाउन का रहने वाला था। अराफात शेख और मंजूर अहमद मीर पुलवामा के रहने वाले थे। ये दोनों पहले आतंकियों के मददगार के रूप में टीआरएफ(द रेजिस्टेंस फ्रंट) सरगना अब्बास शेख के लिए काम करते थे। मेहरान भी अब्बास को रसद और शरण मुहैया करा रहा था।
डीजीपी ने कहा कि वह पुलिस कर्मी अरशद की हत्या के साथ ही नागरिकों की हत्या में शामिल था। उसने जून महीने में ग्रेनेड हमला भी किया था। इस हमले में एक नागरिक मारा गया था और तीन घायल हुए थे। उसने श्रीनगर के नवाकदल में नागरिक की हत्या की थी। मेहरान श्रीनगर के ईदगाह इलाके में स्कूल में घुसकर की गई शिक्षक व महिला सिख प्रिंसिपल की हत्या में शामिल था।
मुठभेड़ के बाद उसकी प्रामाणिकता को लेकर जायज शक पैदा हो गए- महबूबा
महबूबा ने कहा था कि रामबाग में हुई कथित मुठभेड़ के बाद उसकी प्रामाणिकता को लेकर जायज शक पैदा हो गए हैं। पीडीपी प्रमुख ने आरोप लगाया कि खबरों और चश्मदीदों के मुताबिक ऐसा लगता है कि गोलीबारी एक तरफा थी। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा,‘‘एक बार फिर आधिकारिक बयान जमीनी हालात से मेल नहीं खाता जैसा कि शोपियां, एचएमटी और हैदरपोरा में देखा गया था। मारे गए आतंकियों की पहचान टीआरएफ सरगना मेहरान और पुलवामा निवासी मंजूर अहमद मीर और अराफात शेख के तौर पर की गई है।
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कश्मीर में जारी है आतंक पर प्रहार, घाटी में इस साल अब तक 148 आतंकी ढेर
भारत और पाकिस्तान के बीच एलओसी पर सीजफायर समझौता हुआ है।
हालांकि पड़ोसी देश अपनी हरकतों से अब भी बाज नहीं आ रहा है।
इसका खामियाजा भी उसे भुगतना पड़ता है। भारतीय जवानों ने इस साल अब तक के विभिन्न मुठभेड़ों में 148 आतंकवादी मारे हैं। इस दौरान दो आम नागरिक की भी मौत हो गई।
आईजीपी (कश्मीर) विजय कुमार ने बुधवार को इसकी जानकारी दी है। कुमार ने कहा, "पिछले साल मुठभेड़ों के दौरान 207 आतंकवादी मारे गए थे और क्रॉस फायरिंग में केवल एक नागरिक मारा गया था।"
उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में मुठभेड़ों के दौरान क्रॉस फायरिंग में केवल तीन नागरिक मारे गए थे और यह पिछले तीन दशकों में सबसे कम है।
जम्मू और कश्मीर में आतंकवादियों का दलन जारी है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने ( 24-11-2021 बुधवार को) बताया कि अभी कश्मीर घाटी में करीब 199 आतंकवादी सक्रिय हैं। इनमें से 110 आतंकवादी स्थानीय हैं और 89 विदेशी हैं।
अब तक 148 मुठभेड़ में ढेर
पुलिस अधिकारी ने कहा, 'घाटी में जम्मू और कश्मीर पुलिस तथा आर्मी के साथ आतंकवादियों की मुठभेड़ में इस साल 24 नवंबर तक 148 आतंकवादी मारे गये हैं। इनमें से 127 स्थानीय लोग हैं और 21 विदेशी। उन्होंने आगे कहा कि जम्मू और कश्मीर में काफी संख्या में सीआरपीएफ जवानों की तैनाती की गई है। घाटी में करीब 65,000 सीआरपीएफ जवान तैनात हैं। इसके अलावा घाटी में आम नागरिकों पर हमले के बाद सीआरपीएफ की अतिरिक्त 25 कंपनियां भी वहां तैनात की गई हैं।
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