नोटबंदी देश-हितकारी रही, भारतीय जनमत ने स्वागत किया था - अरविन्द सिसौदिया
नोट बंदी देश को हितकारी ही रही - अरविन्द सिसौदिया
ऑल ओवर नोट बंदी देश को हितकारी ही रही - अरविन्द सिसौदिया
विश्व इतिहास की ऐतिहासिक घटना भारत में नोट बंदी की वर्ष गांठ
8 नवंबर 2016 को, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले से चले आ रहे , 500 और 1000 हजार के नोट बंद किये गये । इस निर्णय से जनता को कष्ट भी हुआ था किन्तु बाद में हुये कई चुनावों ने साबित किया कि मोदी जी के इस निर्णय का आम भारतीय जनमत ने स्वागत किया था। इससे देश को दूरगामी लाभ तो मिलना ही है। साथ ही कई लाभ वर्तमान में भी मिले जिससे देश का भला हुआ।
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8 नवंबर 2016 को, भारत सरकार ने महात्मा गांधी श्रृंखला के सभी 500 और 1000 के नोटों के विमुद्रीकरण की घोषणा की। इसने विमुद्रीकृत बैंकनोटों के बदले में नए 500 और 2,000 के नोट जारी करने की भी घोषणा की थी। यह नोटबंदी की पांचवी वर्षगांठ 2021 है।
पूर्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इससे काले धन को कम करने में मदद मिली है तथा कर जमा करने में वृद्धि हुई है और पारदर्शिता बढ़ी है। तब उन्होंने यह भी कहा था कि , ’ये परिणाम देश की प्रगति के लिए बहुत लाभकारी रहे हैं।’
प्रधानमंत्री मोदी ने 2020 में इस अवसर पर अपने ट्वीट के साथ एक ग्राफिक भी साझा किया है, जिसमें दर्शाया गया है कि किस तरह से विमुद्रीकरण से कर जमा होने में वृद्धि हुई, कर तथा जीडीपी अनुपात बढ़ा, भारत अपेक्षाकृत कम नकदी आधारित अर्थव्यवस्था बना और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती मिली यह भी दर्शाया था।
नोट बंदी के बाद नये नोट छापनें के क्रम में 200, 500 और 2000 रुपये का एक नोट छापे गये जो कि बिलकुल ही नये स्टाइल के थे।
नोटबंदी से जो फायदे होनें थे वे भी काफी हद तक सामनें आये है।
जैसे कि :-
भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है,
कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा मिला है,
नकली करेंसी पर लगाम लगी है,
रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शीता आई है,
कालाधन पर बडी रोक सामनें आ रही है,
समानांतर इकोनॉमी लगभग बंद हो गई है ,
करदाताओं का दायरा बढ़ा है ,
तस्करी एवं आतकंवादी घटनाओं पर लगाम लगी है,
जमाखोरी एवं मंहगाई पर रोकथाम भी हुई है।
आदि मुख्यतः फायदे हुये हैं।
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कोरोना महामारी के कारण पूरे विश्व में 30 प्रतिशत के लगभग मंहगाई बढ़ी है। इसका मुख्य कारण महामारी के दौरान उत्पादन कम हो जाना है या पूरी तरह बंद कर दिया जाना है। जब स्टाक ही नहीं है तो बेचनें का दबाव नहीं है। वस्तुओं का अभाव है। इस कारण महंगाई बढ़ी है और यह अभी रहेगी भी। क्यों कि मंहगाई कम करने का कोई उपाय भी नहीं है।
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