- अरविन्द सिसौदिया 9414180151
महाराष्ट्र के कबिनेट मंत्री नबाव मलिक बनाम नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े प्रकरण में जो आरोप प्रत्यारोप लगे है। वे बेहद गंभीर है तथा इनकी सम्पूर्ण पृष्ठभूमि में जो परिदृष्य है। वह भारत की भावी पीढ़ी को नशे में धकेल देने वाले तंत्र का है। देश विरोधी बडे षडयंत्र की पर्तें खुलने की बू इस पूरे प्रकरण से आ रही है।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के हाथ नशे के बडे अवैध व्यापार की गिरबानों तक पहुंच रहे है। जो अपनी हैसियत का बेजा इस्तेमाल करते है। दूसरी तरफ अपनी बडी हैसियत की ओट से बेजा धंधेवाजी के मसीहा प्रगट हो रहे हैं जो समस्त संसाधनों से एक महत्वपूर्ण जांच एजेंसी को दबा देना चाहते है। केन्द्र सरकार का यह राजधर्म है कि वह इस सम्पूर्ण मामलें की एक अतिरिक्त जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण से (National Investigation Agency) करवाये । ताकि भारत में रह कर भारत के हितों को कोई प्रभावित न कर सके तथा सच सामनें आये और दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नबाव मलिक पर जो आरोप लगाये है। वे दाऊद तक पहुंच रहे है। दाऊद रहता पाकिस्तान में है और मुम्बई में हुये भयंकर आतंकी बम धमाकों के लिये जिम्मेवार भी माना जाता है। इसलिये अब यह जरूरी हो गया है कि इस की जांच एन आई ए करे।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि नवाब मलिक और अंडरवर्ल्ड का क्या कनेक्शन है । इसका खुलासा वे खुद करेंगे, इसके अलावा वे तमाम सबूत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सर्वेसर्वा शरद पवार को भी सौंपेंगे, ताकि उन्हें पता चले कि नवाब मलिक और अंडरवर्ल्ड के बीच में कैसे संबंध हैं।
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नबाव मलिक बनाम वानखेडे प्रकरण की जांच एनआईए भी करे
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (National Investigation Agency)
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण भारत में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत सरकार द्वारा स्थापित एक संघीय जाँच एजेंसी है। यह केन्द्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य करती है। एजेंसी राज्यों से विशेष अनुमति के बिना राज्यों में आतंक संबंधी अपराधों से निपटने के लिए सशक्त है।
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी को 2008 के मुंबई हमले के पश्चात स्थापित किया गया, क्योंकि इस घटना के पश्चात आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक केंद्रीय एजेंसी की जरूरत महसूस की गई।
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महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक (Nawab Malik) आर्यन खान ड्रग्स केस (Aryan Khan Drug Case) को लेकर लगातार एनसीबी, समीर वानखेड़े (Sameer Wankhede Case) और उनके परिवार को निशाने पर लिए हुए हैं. इसी बीच खबर आ रही है कि समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े (Gyandev Wankhede) ने नवाब मलिक के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में मानहानि का दावा ठोंक दिया है. ज्ञानदेव वानखेड़े ने मलिक से 1.25 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की है. ज्ञानदेव से पहले बीजेपी नेता मोहित कंबोज ने भी नवाब मलिक पर 100 करोड़ की मानहानि मुकदमा दर्ज कराया है.
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स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (NCB) ने अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान से जुड़े विवादास्पद क्रूज मादक पदार्थ जब्ती मामले की जांच की जिम्मेदारी को समीर वानखेड़े के नेतृत्व वाली एजेंसी की मुंबई क्षेत्रीय इकाई से ले लिया है। एनसीबी ने क्रूज मामला तथा पांच अन्य मामलों को मुंबई इकाई से लेकर एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) को सौंप दिया है। एनसीबी के उप महानिदेशक (उत्तर-पश्चिम क्षेत्र) मुथा अशोक जैन ने बताया कि कार्रवाई ‘‘प्रशासनिक आधार’’पर की गई है और चूंकि इन छह मामलों के ‘‘व्यापक और अंतर-राज्यीय प्रभाव’’ हैं, इसलिए उन्हें दिल्ली में संचालन इकाई को स्थानांतरित कर दिया गया है।
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BJP विधायक राम कदम ने नवाब मलिक पर साधा निशाना
गौरतलब है कि मुंबई के बीजेपी विधायक राम कदम ने नवाब मलिक पर निशाना साधते हुए कहा है कि महाराष्ट्र के मंत्री ने समीर वानखेड़े के खिलाफ 24 संवाददाता सम्मेलन कर यह साबित कर दिया है कि वह ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई लड़ने वालों के खिलाफ हैं. वहीं, राम कदम के अनुसार ऐसा अक्सर होता है, जब जांच के दौरान किसी अधिकारी पर अंगुली उठने पर उस मामले की जांच किसी नए अधिकारी को दे दी जाती है.
पाकिस्तान नशे के धंधे वाला तंत्र पूरी ताकत से लगा हुआ है कि भारतीय जांच संस्था उनके दवाब में आ जाये और वे मन चाहा करते रहें।
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नशे की पकड़ के केस पहले भी आये मगर हल्ला अभी ही क्यों ?
अपराधीयों को पकड़ने वाले अधिकारी को दबाव में लेने के लिये अनर्गल आरोपों कर बौछार क्यों ?
यह रिपोर्ट वाट्सएप पर कॉफी समय से चल रही है। इसके तथ्यों की जांच देशहित में होनी ही चाहिये।
पिछले बार के बड़े नेता स्वर्गीय प्रमोद महाजन जी के बेटे राहुल महाजन भी थी उन्हीं धाराओं में गिरफ्तार हुए थे जिन धाराओं में आर्यन खान NCB द्वारा गिरफ्तार हुआ। यानी एनडीपीएस एक्ट के 25 26 और 27 के तहत राहुल महाजन भी 06 महीने के लिए जेल गए थे।
लेकिन तब आपको पता भी नहीं होगा कि किस अधिकारी ने उन्हें गिरफ्तार किया था। उस अधिकारी के बाप का क्या धर्म था। उस अधिकारी की पत्नी का क्या धर्म था, या उस अधिकारी की बहन कहां कहां घूम रही थी। उस वक्त किसी भी नेता ने NCB अधिकारी पर कोई इल्ज़ाम या दबाव नही डाला।
संजय दत्त भी ड्रग्स मामले में 07 महीने जेल में थे। भारत के किसी भी पत्रकार को नहीं पता होगा कि कौन से अधिकारी ने संजय दत्त को गिरफ्तार किया था और उसके बाप का क्या धर्म था और उस अधिकारी का जन्म प्रमाण पत्र क्या था।
अरमान कोहली पिछले 08 महीनों से NCB की कस्टडी में जैल में बंद है, लेकिन कोई शोर शराबा नही, कोई आरोप नही, किसी NCB अधिकारी को जान से मारने की धमकी तक नही। ना किसी NCB अधिकारी के परिवार को टॉर्चर किया गया।
लेकिन जब आर्यन खान गिरफ्तार हुआ, तब पूरी महाराष्ट्र सरकार और खासकर नवाब मलिक अपने .... उस असली कैरेक्टर पर आ गया है, यानी सीधे समीर वानखेड़े के परिवार के महिलाओं पर वार। देशभक्त अधिकारी समीर वानखेड़े के परिवारवालो को जान से मारने की धमकी मिल रही है।
आर्यन खान को उनके धर्म के वजे से NCB ने उसे फ़साया, ऐंसा आरोप नवाब मलिक कर रहा है। जब NCB ने संजय दत्त, राहुल महाजन, अरमान कोहली, और कई अन्य लोगो को भी तो ड्रग्स मामले में पकड़ा तब किसी ने ये आरोप नही लगाया कि उनके धर्म के वजेसे NCB ने उन्हें पकड़ा।
इन के ख़िलाफ़ चुप्पी खतरनाक होगी। बॉलीवुड, मीडिया और राजनीति के कुछ अड्डों से NCB के मुखिया समीर वानखेड़े के विरुद्ध ------जो अभियान शुरू किया गया है। अचानक ऐसा क्यों हुआ है.?
दअरसल शाहरुख खान के पूत की गिरफ्तारी के साथ ही पाकिस्तान के सरगना बुरी तरह तिलमिलाए हुए हैं। वो समझ गए हैं कि NCB की कार्रवाई बॉलीवुड में उनके उन गुर्गों के गिरेबान तक पहुंच रही है, जिन गुर्गों के द्वारा वो बॉलीवुड को अपनी उंगलियों पर पिछले 3-4 दशकों से नचाते रहे हैं। NCB अब बॉलीवुड में उनके माफिया राज को बुरी तरह ध्वस्त करती जा रही है। यही कारण है कि उन्होंने मीडिया का एक विशेष वर्ग,, बॉलीवुड और राजनीति में जमे हुए अपने गुर्गों को NCB और उसके मुखिया के खिलाफ पूरी ताकत से सक्रिय कर दिया है।
पाकिस्तान में बैठ कर नशे का बडा व्यापार, बडे नामधरीयों की ओट से करने वाले, अचानक स्तब्ध हो गये और उन्हे उन पर और उनके धंधे पर आंच दिख रही है। इसे रोकनें के लिये सुनियोजित तरीके से ईमानदार एवं जिम्मेवार अधिकारियों में भय उत्पन्न किया जा रहा है।
जरा याद करिए निकट अतीत के इन घटनाक्रमों को।
पिछले वर्ष जस्टिस फॉर सुशांत सिंह राजपूत के जो बिलबोर्ड अमेरिका के हॉलीवुड में लगे थे उनको कुछ ही घंटों में उतरवा दिया गया था। उन बिलबोर्ड को हटवाने में अज़ीज-उल-हसन अशाई उर्फ टोनी अशाई का नाम सामने आया था जो भारतीय मूल का कश्मीरी है और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का सदस्य रह चुका है।
भारतीय और अमेरिकी जांच एजेंसियों के दस्तावेजों में उसकी यह पहचान दर्ज है। माना जाता है कि शाहरूख खान और उसकी बीबी गौरी खान का बिजनेस पार्टनर भी यही टोनी अशाई है।
आप समझ सकते हैं कि शाहरुख खान जब जब अमेरिका गया तब तब उसके कपड़े उतरवा कर उसकी तलाश क्यों ली गयी.? उसने इस पर हल्ला भी खूब मचाया। लेकिन अमेरिकी प्रशासन पर कोई असर नहीं पड़ा। किसी ने, खासकर सेक्युलरों और लुटियन मीडिया ने उससे कभी यह नहीं पूछा कि लता मंगेशकर अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र सरीखे दिग्गजों से लेकर अक्षयकुमार और सनी देओल, सोनू निगम तक, दर्जनों भारतीय फिल्मस्टार एक नहीं अनेक बार अमेरिका गए हैं, लेकिन उनके कपड़े उतरवा कर उनकी तलाशी कभी क्यों नहीं ली गयी.?
पाकिस्तान में बैठ कर नशे का बडा व्यापार करने वाले,.....NCB की कार्रवाई से तिलमिलाया हुआ है। NCB को रोकने के लिए सक्रिय हो गयी है। यही कारण है कि मीडिया का एक विशेष वर्ग, बॉलीवुड और राजनीति का एक विशेष वर्ग, NCB के खिलाफ जहर उगलने में जुट गया है। इससे पहले अफ़ज़ल गुरु, याकूब मेमन, बटला हाऊस के आतंकियों को बचाने के लिए भी .... मीडिया का एक विशेष वर्ग, बॉलीवुड और राजनीति में बैठे अपने गुर्गों का इस्तेमाल भारतीय सेना और भारतीय अदालतों पर दबाव बनाने के लिए किस तरह किया था ? उस शर्मनाक खतरनाक सच को पूरा देश देख चुका है। उस सच से भलीभांति परिचित है।
जनवरी में NCB ने ब्रिटिश नागरिकता वाले भारतीय मूल के करन संजनानी के मुंबई स्थित अड्डे पर छापा मार कर बहुत हाई क्वालिटी का विदेशी गांजा बरामद किया था। यह गांजा अमेरिका से तस्करी कर के लाया गया था। करन संजनानी के उस नशे के अड्डे से मिले ठोस सबूतों के बाद शुरू हुई NCB की जांच में नवाब मलिक का दामाद समीर खान भी ठोस सबूतों के साथ NCB के हत्थे चढ़ गया था। NCB ने 11 जनवरी को उसे गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया था। उसके खिलाफ NCB के सबूत इतने पुख्ता थे कि साढ़े 8 महीने तक कोर्ट ने उसे जमानत नहीं दी थी। 27 सितंबर को कोर्ट ने उसे जमानत इस शर्त के साथ दी है कि वो अपना पासपोर्ट कोर्ट में जमा कराए तथा कोर्ट की अनुमति के बिना मुंबई के बाहर नहीं जा सकता। साढ़े 8 महीने जेल में बंद रहने के बाद इन शर्तों के साथ कोर्ट द्वारा नवाब मलिक के दामाद समीर खान को दी गयी जमानत बताती है कि वो कितना मासूम और निर्दोष है.? समीर वानखेड़े द्वारा उसके खिलाफ की गई कार्रवाई कितनी सही या गलत है.?
यही कारण है कि जब नवाब मलिक का दामाद गिरफ्तार हुआ था तब नवाब मलिक साढ़े 8 महीने तक चुप्पी तो साधे रहा था लेकिन समीर वानखेड़े के खिलाफ बुरी तरह तिलमिलाया हुआ था। लेकिन अब वो अपनी खीझ उतार रहा है।
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