धर्म,पन्थ,संप्रदाय , जाती पातीं , ऊंच नीच के भेद से रहित है हिंदुत्व Hindutv
हिंदुत्व का प्रथम और अंतिम सिद्धान्त है
" हरि को भजे सो हरि को होय "
हिंदुत्व ही प्रकृति के प्रत्येक रचना में जीवन का उद्घोष करता है और किसी जीवात्मा को कष्ट देना पाप मानता है । उसमें किसी भी तरह का भेदभाव अस्वीकार्य है।
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।
सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।
इन्हीं मंगलकामनओं के साथ आपका दिन मंगलमय हो
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।
सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।
इन्हीं मंगलकामनओं के साथ आपका दिन मंगलमय हो
”धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो,
प्राणियों मे सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो”
हिंदू धर्म व उसकी संस्कृति कितनी प्राचीन है, इसकी गणना वर्ष, संवत्, सन में संभव नहीं। अनादि काल से चली आ रही हमारी संस्कृति मंदिरों में आरती के बाद बोले जाने वाले चार जयघोषों में ही इसका परिचय देती आ रही है। हम कहते हैं-धर्म की जय हो, किसके धर्म की यह नहीं कहते, धर्म अर्थात सत्य, भेदभाव से दूर, समानता का भाव। फिर कहते हैं -अधर्म का विनाश हो। अधर्म अर्थात असत्य से परिपूर्ण, दुराचार का भाव, असमानता का प्रेरक। फिर कहते हैं, प्राणियों में सद्भावना रहे, यह नहीं कहते मनुष्यों में सद्भावना रहे। फिर बोलते हैं विश्व का कल्याण हो, हिंदुस्तान का नहीं, समूचे संसार का हित हो, अर्थात हजारों कालखंडों से हमारे संत, मनीषी हमें एकात्मता की सीख देते आ रहे हैं।
यह तय फूटडालो राज करो वालों का छल है कि उन्होनें व्यक्ति, समाज और शास्त्रों तक में पाखण्ड पूर्वक अपने छल को फैलाया और आपस में लड़ा भिड़ा कर स्वयं का शासन किया ।
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चलिए हजारो साल पुराना इतिहास पढ़ते हैं। और पता करते हैं दलितों पिछड़ों का शोषण किसने किया ??
सम्राट शांतनु ने विवाह किया एक मछुवारे की पुत्री सत्यवती से।उनका बेटा ही राजा बने इसलिए भीष्म ने विवाह न करके,आजीवन संतानहीन रहने की भीष्म प्रतिज्ञा की।
सत्यवती के बेटे बाद में क्षत्रिय बन गए, जिनके लिए भीष्म आजीवन अविवाहित रहे, क्या उनका शोषण होता होगा?
महाभारत लिखने वाले वेद व्यास भी मछवारे थे , पर महर्षि बन गए, गुरुकुल चलाते थे वो।
विदुर, जिन्हें महा पंडित कहा जाता है वो एक दासी के पुत्र थे , हस्तिनापुर के महामंत्री बने, उनकी लिखी हुई विदुर नीति, राजनीति का एक महाग्रन्थ है।
भीम ने वनवासी हिडिम्बा से विवाह किया।
श्रीकृष्ण दूध का व्यवसाय करने वालों के परिवार से थे,
उनके भाई बलराम खेती करते थे , हमेशा हल साथ रखते थे।
यादव क्षत्रिय रहे हैं, कई प्रान्तों पर शासन किया और श्रीकृषण सबके पूजनीय हैं, गीता जैसा ग्रन्थ विश्व को दिया।
राम के साथ वनवासी निषादराज गुरुकुल में पढ़ते थे ।
उनके पुत्र लव कुश महर्षि वाल्मीकि के गुरुकुल में पढ़े जो वनवासी थे और पहले डाकू थे।
तो ये हो गयी वैदिक काल की बात, स्पष्ट है कोई किसी का शोषण नहीं करता था,सबको शिक्षा का अधिकार था, कोई भी पद तक पहुंच सकता था अपनी योग्यता के अनुसार।
वर्ण सिर्फ काम के आधार पर थे वो बदले जा सकते थे जिसको आज इकोनॉमिक्स में डिवीज़न ऑफ़ लेबर कहते हैं वो ही।
प्राचीन भारत की बात करें, तो भारत के सबसे बड़े जनपद मगध पर जिस नन्द वंश का राज रहा वो जाति से नाई थे ।
नन्द वंश की शुरुवात महापद्मनंद ने की थी जो की राजा नाई थे। बाद में वो राजा बन गए फिर उनके बेटे भी, बाद में सभी क्षत्रिय ही कहलाये ।
उसके बाद मौर्य वंश का पूरे देश पर राज हुआ, जिसकी शुरुआत चन्द्रगुप्त से हुई,जो कि एक मोर पालने वाले परिवार से थे
और एक ब्राह्मण चाणक्य ने उन्हें पूरे देश का सम्राट बनाया । 506 साल देश पर मौर्यों का राज रहा।
फिर गुप्त वंश का राज हुआ, जो कि घोड़े का अस्तबल चलाते थे और घोड़ों का व्यापार करते थे।
140 साल देश पर गुप्ताओं का राज रहा।
केवल पुष्यमित्र शुंग के 36 साल के राज को छोड़ कर *92% समय प्राचीन काल में देश में शासन उन्ही का रहा, जिन्हें आज दलित पिछड़ा कहते हैं तो शोषण कहां से हो गया?
यहां भी कोई शोषण वाली बात नहीं है।
फिर शुरू होता है मध्यकालीन भारत का समय जो सन 1100- 1750 तक है, इस दौरान अधिकतर समय, अधिकतर जगह मुस्लिम शासन रहा।
अंत में मराठों का उदय हुआ, बाजी राव पेशवा जो कि ब्राह्मण थे, ने गाय चराने वाले गायकवाड़ को गुजरात का राजा बनाया,
चरवाहा जाति के होलकर को मालवा का राजा बनाया।
अहिल्या बाई होलकर खुद बहुत बड़ी शिवभक्त थी।
ढेरों मंदिर गुरुकुल उन्होंने बनवाये।
मीरा बाई जो कि राजपूत थी, उनके गुरु एक चर्मकार रविदास थे
और रविदास के गुरु ब्राह्मण रामानंद थे|।
यहां भी शोषण वाली बात कहीं नहीं है।
मुग़ल काल से देश में गंदगी शुरू हो गई और यहां से
पर्दा प्रथा, गुलाम प्रथा, बाल विवाह जैसी चीजें शुरू होती हैं।
1800-1947 तक अंग्रेजो के शासन रहा और यहीं से जातिवाद शुरू हुआ ।
जो उन्होंने फूट डालो और राज करो की नीति के तहत किया।
अंग्रेज अधिकारी निकोलस डार्क की किताब
"कास्ट ऑफ़ माइंड" में मिल जाएगा कि कैसे अंग्रेजों ने जातिवाद, छुआछूत को बढ़ाया और कैसे स्वार्थी भारतीय नेताओं ने अपने स्वार्थ में इसका राजनीतिकरण किया।
इन हजारों सालों के इतिहास में
देश में कई विदेशी आये जिन्होंने भारत की सामाजिक स्थिति पर किताबें लिखी हैं, जैसे कि मेगास्थनीज ने इंडिका लिखी, फाहियान , ह्यू सांग और अलबरूनी जैसे कई। किसी ने भी नहीं लिखा की यहां किसी का शोषण होता था।
योगी आदित्यनाथ
जो ब्राह्मण नहीं हैं, गोरखपुर मंदिर के महंत हैं, पिछड़ी जाति की उमा भारती महा मंडलेश्वर रही हैं।
जन्म आधारित जातीय व्यवस्था हिन्दुओ को कमजोर करने के लिए लाई गई थी।
इसलिए भारतीय और सबसे पुरानी संस्कृति SANATAN हिन्दू होने पर गर्व करें और घृणा, द्वेष और भेदभाव के षड्यंत्र से खुद भी बचें और औरों को भी बचाएं।
*यह सारा भ्रम मुस्लिम, क्रिश्चियन इतिहासकारों और स्वतंत्रता के बाद में कांग्रेस, कम्युनिस्ट और बाद में लिब्रांडुओं और उनके समान लोगों के द्वारा प्रसारित किया गया है।इन लोगों ने हि वर्ण व्यवस्था को कुख्यात करा।और इस में साथ दिया पश्चिमी देशों के इंडोलाजिस्टों ने।जाती प्रथा का प्रचलन मुख्यता ब्रिटिश के द्वारा प्रारंभ करा गया।और सब को हवा दि गांधी वह नेहरू ने।*
*गर्व से कहो हम हिन्दू हैं* 🚩🏹
*#रक्षितंभारत🚩🏹🚩*
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