युवा शक्ति, आदि शंकराचार्य की तरह धर्मोत्थान के लिये समर्पित हो
aadi shankaraachaary
आदि शंकराचार्य साक्षात भगवान शंकर का तेज
हर हिन्दु अपने आपको आदि शंकराचार्य की तरह धर्म की स्थापना के लिये समर्पित करदे ।
- अरविन्द सिसौदिया 9414180151
आदि शंकराचार्य अर्थात प्रथम शंकराचार्य का जन्म तब हुआ जब ईश्वर के बारे में अचानक ही भ्रम की घटाघोप काल रात्री ने भारतीय प्रायदीप को घेर लिया था। समाज में अनाचार, अधर्म और असत्य का बोलवाला हो गया था । सनातन धर्म पथ से लोग विस्मुत हो कर, जगत है, जगत का निर्माता ईश्वर है और ईश्वर की बनाई हुई आत्माओं को धारण किये हुये प्राणी हैं। इस सत्य को भूल गये थे तथा तब सत्य को झुठलानें वाला वातावरण बना हुआ था ।
तब एक बालक ने केरल में जन्म लिया, माना जाता है कि वह बालक साक्षात भगवान शंकर का अवतरण था । उस बालक को वेदों , उपनिषदों, शास्त्रों और नीतियों का जन्म से ही ज्ञान था। इस बालक ने समाज को अपने विस्मृत संस्कति का पुनः स्मरण करवाया, तर्क और तथ्य के आधार पर सत्य को पुनः स्थापित करवाया । सनातन संस्कृति जो कि हिन्दू संस्कृति कहलाती है को स्थापित करने हेतु व्यापक परिश्रम किया। संस्कृति को अक्क्षुण्य बनाये रखने हेतु एक महान अभ्युदयकर्ता के स्वरूप में उन्होनं 12 ज्योतिलिंगों और चारों मठों की स्थापना करवाई, जो कि चार धाम कहलाते है। सम्पूर्ण भारतीय प्रायदीप को सनातन सत्य के साथ जोड कर पुनः भव्यतापूर्वक हिन्दुत्व की स्थाना करवाते हुये । केदारनाथ धाम में मात्र 32 वर्ष की आयु में उन्होने अपनी समाधी ली । उनकी प्रतिमा 2013 के भीषण हादसे में क्षतिग्रस्त हो गई थी । जिसको नई प्रतिमा बनवा कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने स्थापित करवाई एवं उसका लोकापर्ण हुआ है।
आज के हिन्दुत्व में आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित शंकराचार्य की पदवी ही हिन्तुत्व की सबसे बडी मान्य पदवी जो कि बौद्ध दलाई लामा और ईसाई धर्म गुरू पोप के समकक्ष है।
हिन्दुत्व के सामनें जिस तरह की विश्व से चुनौतियां आ रहीं है। उनके आदि शंकराचार्य का जीवन और उनका कृतित्व व व्यक्तित्व हमारा मार्ग दर्शन कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मादी एवं उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को हम आदि शंकराचार्य के पद चिन्हों पर चलने वाले महान साधक मान सकते है। किन्तु आगे और निरंतर लगातार हमें आदि शंकराचार्य के पद चिन्हों पर चलने वाले साधकों की आवश्यकता है। अब वह समय आ गया है कि कुछ शताब्दियों तक हर हिन्दु अपने आपको आदि शंकराचार्य की तरह धर्म की स्थापना के लिये समर्पित करदे ।
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आदि शंकराचार्य : 'हिंदूत्व ' के नवोत्थान कर्ता
लिंक- शंकराचार्य
आदिशंकराचार्य जी ने बहुत कम उम्र मे, तथा बहुत कम समय मे अपने कार्य के माध्यम से, अपने जीवन के उद्देश्य को पूर्ण किया . आपके जीवन के बारे मे यहा तक कहा गया है कि आपने महज दो से तीन वर्ष की आयु मे सभी शास्त्रों , वेदों को कंठस्थ कर लिया था . इसी के साथ इतनी कम आयु मे, भारतदर्शन कर उसे समझा और सम्पूर्ण हिन्दू समाज को एकता के अटूट धागे मे पिरोने का अथक प्रयास किया और बहुत हद तक सफलता भी प्राप्त की जिसका जीवित उदहारण उन्होंने स्वयं सभी के सामने रखा और वह था कि आपने सर्वप्रथम चार अलग-अलग मठो की स्थापना कर उनको उनके उद्देश्य से अवगत कराया . इसी कारण आपको जगतगुरु के नाम से नवाज़ा गया और आप चारो मठो के प्रमुख्य गुरु के रूप मे पूजे जाते है .
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हिन्दू धर्म के महानायक आदि जगद्गुरु शंकराचार्य की जन्मभूमि
लिंक- महानायक आदि जगद्गुरु शंकराचार्य
शरीर छोड़ने से पहले उन्होंने अपने शिष्यों को बुला कर पुछा की उन्हें अगर कुछ पूछना हो , या शास्त्रों के किसी हिस्से के बारे में उन्हें कोई शंका हो तो वे पूछ सकते हँ सबने कहा की उन्होंने उनकी कृपा से सब कुछ जान लिया हँ और उन्हें सत्य का बोध हो चूका हँ तब उन्होंने भारत के चार कोनो पर स्थित मठो के उत्तराधिकारी , उनके कार्य , उनकी कार्य शेली , उनके द्वारा सन्यासियों के दस आश्रमों का क्रम से नियंत्रण आदि आदि कार्यो का निरूपण किया पश्चात उन्होंने सिद्धासन में स्थित होकर अपने शरीर का त्याग कर दिया उस समय उनकी आयु ३२ वर्ष की थी वह आज भी उनकी समाधि बनी हुई हँ जो हर हिन्दू दर्शनार्थी को उनके अपने धर्म के लिए गए उनके अमानवीय कर्मो का स्मरण कराती हँ|
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