manish tiwari-26/11मुंबई हमले के 13 साल बाद कांग्रेस नेता ने कांग्रेस सरकार की पाकिस्तान परस्ती स्विकारी

         

 

26/11

 

    कांग्रेस पाकिस्तान परस्त है या मुस्लिम लीग से भयभीत रही है यह तो शोध का विषय भी है और सूर्य की रौशनी की तरह उनके कृत्य प्रमाणित भी  है कि देश के विभाजन से लेकर पाकिस्तान से युद्ध विजयों के बाद भी पाकिस्तान के प्रति कांग्रेस में अपनापन हमनें देखा है। जो अभी तक भी जारी है। अनकों उदाहरण भरे पडे है।


निश्चित ही मनीष तिवारी कांग्रेस के असन्तुष्ट नेताओं के उस ‘जी 23’ समूह में शामिल हैं जिसने पिछले साल श्रीमती सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में व्यापक संगठनात्मक बदलाव और जमीन पर सक्रिय अध्यक्ष की मांग की थी।

किन्तु उनकी पुस्तक में बहुत कुछ वह है जो जमीनी हकीकत से जुडा हुआ है। पुस्तक आनें तक बहुत कुछ अंधेरे में भी है। किन्तु 26/11 भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई को बंधक बना लेनें की गंभीरतम आतंकी हमला था। जबाव में तत्काल कुछ होना जरूर चाहिये था । किन्तु कुछ हुआ नहीं ! यह पाकिस्तान परस्ती ही थी। सबसे बडी बात यह थी कि उस समय भी कांग्रेस निर्दोष हिन्दुओं को ही लांक्षित कर रही थी।

कांग्रेस अब यह कहना प्रारंम्भ कर चुकी है कि चुनाव से पहले फिर पाकिस्तान से तनाव उत्पन्न कर भाजपा चुनाव जीतना चाहेगी। किन्तु सत्य यह है कि पाकिस्तान की आदत है कि भारत में जब भी बडे चुनाव होंगे या कोई बडा काम होने वाला होगा तो वह बाधा उत्पन्न करनें के लिये कोई न कोई आतंकी कार्यवाही करता है। चुनाव है इसलिये जबाव मत दो यह तो हो नहीं सकता । दुश्मन कल को भारत में चुनाव की स्थिती में हमला कर उसे जीत ले यह कैसे होनें देंगे ? कांग्रेस के लिये भले ही देश कुछ नहीं हो मगर नरेन्द्र मोदी सरकार के लिये देश सर्वोपरी है।

दरअसल 26/11 की बरसी से ठीक पहले कांग्रेस के बडे नेता एवं पूर्व मंत्री मनीष तिवारी ने अपनी किताब में तात्कालिक मनमोहन सरकार को बेहद कमजोर बताते हुए आलोचना तो की ही है , साथ ही उनके इस निशानें से तत्कालीन कांगेस के सर्वे सर्वा श्रीमती सोनिया गांधी एवं राजकुमार राहुल गांधी भी निशानें पर आ गये है। अपनी किताब में मनीष तिवारी ने लिखा है कि मुंबई हमले के बाद भारत को पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए थी। उन्होंने ये भी लिखा कि कार्रवाई न करना कमजोरी की निशानी है।

तिवारी ने मंगलवार को ट्विटर पर अपनी इस पुस्तक के कुछ अंश साझा किए। पुस्तक में उन्होंने लिखा, ‘अगर किसी देश (पाकिस्तान) को निर्दोष लोगों के कत्लेआम का कोई खेद नहीं है तो संयम ताकत की पहचान नहीं है, बल्कि कमजोरी की निशानी है। ऐसे मौके आते हैं जब शब्दों से ज्यादा कार्रवाई दिखनी चाहिए। 26/11 एक ऐसा ही मौका था।’
 

पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी के 26/11 मुंबई हमलों को लेकर दिए बयान को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर तीखा हमला किया हैं। बीजेपी ने कांग्रेस की तत्कालीन सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। उधर बीजेपी के हमले के बाद कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने ट्वीट में कर लिखा है, '304 पेज की किताब में से एक अंश पर सवाल उठाना ठीक नहीं। उन्होंने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा, मैं ये जानना चाहूंगा कि जो हार्ड एनालिसिस मैंने उनकी नेशनल सिक्युरिटी को लेकर किया है, क्या वह उसको लेकर भी कोई प्रतिक्रिया करेंगे। 

कांग्रेस में फिर किताबी बम फूटा है। सलमान खुर्शीद के बाद अब कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की किताब चर्चा में है। उन्होंने अपनी किताब '10 फ्लैश पॉइंट; 20 ईयर्स - नेशनल सिक्योरिटी सिचुएशन देट इम्पैक्ट इंडिया' में मनमोहन सिंह की UPA सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। तिवारी ने मुंबई में हुए 26/11 हमले के बाद पाकिस्तान पर किसी तरह का एक्शन न लेने को कमजोरी बताया है।

किताब में तिवारी ने लिखा है कि मुंबई हमले के बाद तत्कालीन सरकार को पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए थी। ये ऐसा समय था, जब एक्शन बिल्कुल जरूरी था। तिवारी ने किताब में लिखा है कि एक देश (पाकिस्तान) निर्दोष लोगों का कत्लेआम करता है और उसे इसका कोई पछतावा नहीं होता। इसके बाद भी हम संयम बरतते हैं तो यह ताकत नहीं बल्कि कमजोरी की निशानी है। तिवारी ने 26/11 हमले की तुलना अमेरिका के 9/11 हमले से की है।

लोकसभा सदस्य तिवारी ने अपनी पुस्तक ‘10 फ्लैस प्वाइंट्स: 20 ईयर्स’ में पिछले दो दशक के देश के सुरक्षा हालात पर प्रकाश डाला है। यह पुस्तक दो दिसंबर से पाठकों के लिए उपलब्ध होगी।


 

1-  26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई हमलों में 166 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस दिन लश्कर-ए-तैयबा के 10 पाकिस्तानी आतंकी अरब सागर के रास्ते भारत में दाखिल हुए थे। 

2- उन्होंने 60 घंटे तक मुंबई को बंधक बना रखा था। उनके पास 10 एके-47, 10 पिस्टल, 80 ग्रेनेड, 2 हजार गोलियां, 24 मैगजीन, 10 मोबाइल फोन, विस्फोटक और टाइमर्स थे। रात 8 बजकर 20 मिनट पर अजमल कसाब (पाकिस्तान) और उसके 9 साथियों ने मुंबई में कदम रखा था। 26 नवंबर 2008 की शाम कोलाबा के समुद्री तट पर एक बोट से दस पाकिस्तानी आतंकी उतरे, छिपते-छिपाते हथियारों से लैस ये आतंकी नदी के तट पर पहुंचे।करीब दस आतंकी कोलाबा की मच्छीमार कॉलोनी से मुंबई में घुसे और तुरंत अपनी घिनौनी करतूतों को अंजाम देने लगे।

3- मुंबई उतरने के बाद आतंकी , मच्छीमार कॉलोनी से बाहर निकलते ही ये आतंकी दो-दो की टोलियों में बंट गए और शहर में जमकर उत्पात मचाया था।

4- दो आतंकी प्रसिद्ध यहूदी गेस्ट-हाउस नरीमन हाउस की तरफ, दो आतंकी सीएसटी की तरफ, दो-दो आतंकियों की टीम होटल ताजमहल की तरफ और बाकी बचे दो टीम होटल ट्राईडेंट ओबरॉय की तरफ बढ़ गए।
आतंकियों की पहली टीम में इमरान बाबर और अबू उमर नामक आतंकवादी शामिल थे। ये दोनों लियोपोल्ड कैफे पहुंचे और रात करीब साढ़े नौ बजे जोरदार धमाका किया।

5-आतंकियों ने मुंबई के CST रेलवे स्टेशन पर उतरकर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दी थीं।आतंकियों की दूसरी टीम में अजमल आमिर कसाब और अबू इस्माइल खान शामिल थे। दोनों सीएसटी पहुंचे और अंधाधुंध गोलियां बरसाने लगे। इन दोनों आतंकियों ने यहां 58 लोगों को मौत के घाट उतार दिया।

6- तीसरी टीम (अब्दुल रहमान बड़ा और जावेद उर्फ अबू अली) होलट ताजमहल की तरफ निकल गई थी। होटल के बहादुर कर्मचारियों की सूझबूझ से सभी मेहमानों को होटल से पिछले गेट से बाहर निकाल दिया गया।
होटल ट्राईडेंट ओबरॉय में आतंकियों की एक टीम रिसेप्शन पर पहुंची और अचानक अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में होटल के 32 मेहमानों की जान चली गई।

7- महाराष्ट्र एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे, पुलिस अधिकारी विजय सालस्कर, आईपीएस अशोक कामटे और कॉन्स्टेबल संतोष जाधव आतंकियों ने लोहा लेते समय इस हमले में शहीद हो गए।
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड्स (एनएसजी) और आतंक‌ियों के बीच हुई लंबी मुठभेड़ में 9 आतंकी मारे गए और दसवें आतंकी अजमल कसाब को ज‌िंदा पकड़ ल‌िया गया।
 

8- मुंबई के इस आतंकी हमले में करीब 166 से ज्यादा लोगों की जान गई थी. साथ ही 300 से ज्यादा लोग घायल भी हुए थे.

9- उस समय के एयरचीफ मार्शल ने कहा था कि हमारी एयरफोर्स जवाब देने के लिए तैयार थी, लेकिन कार्रवाई की अनुमति नहीं दी गई। इसके लिए कांग्रेस को जवाब देना चाहिए।

10 - अजमल कसाब (पाकिस्तान) एकमात्र आतंकी था, जो जिंदा पकड़ा गया था। उसे 21 नवंबर 2013 को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दे दी गई थी।



 

26/11

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

जन गण मन : राजस्थान का जिक्र तक नहीं

अटलजी का सपना साकार करते मोदीजी, भजनलालजी और मोहन यादव जी

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

इंडी गठबन्धन तीन टुकड़ों में बंटेगा - अरविन्द सिसोदिया

स्वामी विवेकानंद और राष्ट्रवाद Swami Vivekananda and Nationalism