नेता हूँ भई नेता हूँ... - अरविन्द सिसोदिया नेता हूँ भई नेता हूँ, सब का सब कुछ लेता हूँ, चाँद-सितारे, धरती-अंबर, स्वर्ग का सिंहासन लेता हूँ। वोट की थाली, झूठ की माला, सच का भी सौदा करता हूँ, नेता हूँ भई नेता हूँ, सब का सब कुछ लेता हूँ। भ्रष्टाचार हमारा धंधा, काला-पीला अपना फंदा, जनता की आशा से खेलूँ, झूठ के सिक्के गढ़ता धंधा। वादों की रोटियाँ बाँटूँ, सपनों की दालें पकाता हूँ, नेता हूँ भई नेता हूँ, सब का सब कुछ लेता हूँ। सुख लेता हूँ दुख देता हूँ, शांति लेता भ्रांति देता हूँ, सत्य की ज्योति बुझाकर, झूठ की मशालें देता हूँ। भाग्य लिखा कर आया हूँ, सब सुख मैंने पाया हूँ, नेता हूँ भई नेता हूँ, सब का सब कुछ लेता हूँ। गाँव की गलियों में बच्चे भूखे, खेतों में सूखी है मिट्टी, पर मेरे घर में जगमग लाइटें, चमके मोटर और चिट्ठी। जनता रोए सड़कों पर, मैं मंचों से मुस्काता हूँ, नेता हूँ भई नेता हूँ, सब का सब कुछ लेता हूँ। वोट के मौसम में झुकता हूँ, चुनाव बीते तो रुकता हूँ, झूठे सपनों की थैली भर, वादों की माला पहनता हूँ। जनता पूछे, “वादा कहाँ?”, मैं भाषण में बहलाता हूँ, नेता हूँ भई नेता हूँ, सब...
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