विदेशी टूलकिट पर स्वदेशी सर्जिकल स्ट्राईक swadeshi-surgical-strike
जब से भारत के प्रधानमंत्री पद की कमान नरेन्द्र मोदी जी ने संभाली है तब से ही उनकी सरकार के विरूद्ध षडयत्रं चल रहे है। जब वे दूसरी बार फिर से स्पष्ट बहूमत से जीते तो भारत विरोधी ताकते सजग हो गई और उन्हे हटाने , अस्थिर करने और फिर से चुनाव न जीतने देनें के लिये तरह तरह के षडयंत्रों में जुट गईं । इसका सबसे बडा कारण यह था कि विश्व के तमाम बडे व्यापारियों के लिये भारत एक बाजार था । जहां वे मनचाही लूट करते थे। भारत ने कभी भी अपने आपको एक बडे उत्पादक देश के रूप में स्थापित करने की कोशिश नहीं की । इस कारण वह कभी भी पूरी तरह निशानें पर नहीं था। किन्तु मोदी जी के प्रधानमंत्री बनते ही भारत ने बडी उडानें भरना प्रारम्भ कर दिया।
भारत ने आंतरिक एवं बाहरी सुरक्षा के मामलों में, अपना रिकार्ड सुधारा है और वह बेहद सजग और जबाव देनें वाले राष्ट्र के रूप में उभर रहा है। यह भी तमाम आराजकतावादियों को पशंद नहीं आ रहा है।
इससे पूर्व पाकिस्तान विरोधी भारत मात्र माना जाता था, कोई यह विश्वास नहीं करता था की भारत चीन से भी टकरा सकता है। मोदी के नेतृत्व में पाकिस्तान की स्थिती बहुत नाजुक हो गई , वहीं चीन को भी आंख से आंख मिला कर बात करनें की हिम्मत भारत में आ गई, उसकी सेनाओं ने तमाम मौकों पर चीन को जबाव दिया, उनसे भिडे, उन्हे वापस धकेला। यह सातवें आश्चर्य से कम नहीं था ।
कोरोना के कालखण्ड में दुनिया के तमाम देख औंधे मुंह गिरे, हमें भी भारी कीमत चुकानी पडी है। किन्तु कोरोना महामारी में जो कुछ इंजतामात भारत ने किये, जिस तेजी से भारत ने तत्सम्बंधी हार्डवेयर उत्पादन किये और समस्याओं के समाधान में जो तेजस्विता प्रदर्शित की उससे भारत के उभार के संकेत मिलने लगे । वैक्सीन की खोज, उसकी प्रमाणिकता एवं उसके करोडों डोज वैक्सीनेशन जैसे महान अद्भुत कार्यों की सफलता से विश्व चौंक गया । जो भारत को लूटने वाली ताकतों का कतई पशंद नहीं थे। विशेषकर चीन को । हथियार बनानें वाले देशों को, औषधी बनानें वाले देशों को ।
भारत के तीन नये कृषि कानूनों की ओट से एक आराजकतावादी आन्दोलन का टूलकिट विदेशी जमीन से तैयार हुआ, उसमें विदेशी सेलीब्रटीज भी सम्म्लित हुये, विदेशी मीडिया को भी विज्ञापन पालिसी से साथ लिया गया । भारत के आंतरिक टकरावों का भी उपयोग किया गया। इसे सफल बनानें में पूरी ताकत झौंकदी गई। किन्तु वह कुछ प्रान्तों तक ही सीमित रहा ।
किन्तु विषय यह था कि विदेशी टूलकिट को ध्वस्त किस तरह किया जाये। देश में वर्ग विभाजना एवं आपसी टकराव के इस षडयंत्र को विफल किस तरह किया जाये। इसके लिये जिस बुद्धिमत्ता से भारत के प्रधानमंत्री ने कथित विवादित कृषि कानूनों को वापस लेकर, षडयंत्रकारी टूलकिट को औंधे मुंह पटका है इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाये उतनी ही कम है।
वर्तमान में राजनैतिक द्धेषता के भडकावे के कारण अथवा षडयंत्रपूर्णता के कारण अथवा सामान्य बोध के कारण नये कृषि कानूनों को कुछ किसान नहीं समझ पाये होंगे। किन्तु वह दिन भी दूर नहीं जब भारत की नई पीढ़ी का किसान इन्ही कानूनों को लागू करनें की मांग करेगा।
( उपरोक्त आखेल, मेरे निजि विचार हैं - अरविन्द सिसौदिया 9414180151)
-----
19 नवम्बर 2021 ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है। पीएम मोदी ने भारी मन से कहा कि “ हम किसानों को समझा नहीं पाए कि केन्द्र सरकार ने कृषि और किसानों की भलाई के लिए ये बड़े फैसले लिए थे।”
प्रधानमंत्री का भाषण
’न जाने कितनी पीढ़िया जिन सपनों को सच होते देखना चाहती थीं, भारत उन सपनों को पूरा करने का भरपूर प्रयास कर रहा है। साथियो, अपने 5 दशक के सार्वजनिक जीवन में मैंने किसानों की परेशानियों को, उनकी चुनौतियों को बहुत करीब से देखा और महसूस किया है।
इसलिए जब देश ने मुझे 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में सेवा का अवसर दिया तो हमने कृषि विकास, किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।
साथियो, इस सच्चाई से बहुत से लोग अनजान हैं कि देश में 100 में से 80 किसान छोटे किसान हैं। उनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है। आप कल्पना कर सकते हैं कि इन छोटे किसानों की संख्या 10 करोड़ से भी ज्यादा है। उनकी पूरी जिंदगी का आधार यही छोटी सी जमीन का टुकड़ा है। यही उनकी जिंदगी होती है और इस छोटी सी जमीन के सहारे ही वे अपना और अपने परिवार का गुजारा करते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी परिवारों में होने वाला बंटवारा इस जमीन को और छोटा कर रहा है,
इसलिए देश के छोटे किसानों की चुनौतियों को दूर करने के लिए हमने बीज, बीमा, बाजार और बचत इन सभी पर चौतरफा काम किया है। सरकार ने अच्छी क्वॉलिटी के बीज के साथ ही किसानों को नीम-कोटेड यूरिया, सॉइल हेल्थ कार्ड, माइक्रो इरिगेशन जैसी सुविधाओं से भी जोड़ा। हमने 22 करोड़ सॉइल हेल्थ कार्ड किसानों को दिए। इस वैज्ञानिक अभियान के कारण एग्रीकल्चर प्रोडक्शन भी बढ़ा।
हमने फसल बीमा योजना को अधिक प्रभावी बनाया। इसके दायरे में ज्यादा किसानों को लाए। आपदा के समय ज्यादा से ज्यादा किसानों को आसानी से मुआवजा मिल सके, इसके लिए भी पुराने नियम बदले। इसके चलते बीते 4 सालों में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा हमारे किसान भाई-बहनों को मिला है।
हम छोटे किसानों और खेत में काम करने वाले श्रमिकों तक बीमा और पेंशन की सुविधा भी ले आए। छोटे किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सीधे उनके बैंक खाते में एक लाख 62 हजार करोड़ रुपये ट्रांसफर किए।
किसानों को उनकी मेहनत के बदले उपज की सही कीमत मिले, इसके लिए भी अनेक कदम उठाए गए। देश ने अपने रूरल मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया। हमने एमएसपी तो बढ़ाई ही, साथ में रेकॉर्ड संख्या में सरकारी खरीद केंद्र भी बनाए। हमारी सरकार द्वारा की गई उपज की खरीद ने पिछले कई दशकों के रेकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
देश की एक हजार से ज्यादा मंडियों को इनाम योजना से जोड़कर हमने किसानों को कहीं से भी अपनी उपज बेचने का एक प्लेटफॉर्म दिया। इसके साथ ही हमने देशभर की कृषि मंडियों के आधुनिकीकरण के लिए भी करोड़ों रुपये खर्च किए। आज केंद्र सरकार का कृषि बजट 5 गुना बढ़ गया है। हर वर्ष सवा लाख करोड़ रुपये से अधिक कृषि पर खर्च किए जा रहे हैं।
1 लाख करोड़ रुपये के एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के माध्यम से गांव और खेत के नजदीक भंडारण इसकी व्यवस्था, कृषि उपकरण जैसी अनेक सुविधाओं का विस्तार ये सारी बातें तेजी से हो रही हैं। छोटे किसानों की ताकत बढ़ाने के लिए किसान उत्पादन संगठन बनाने का अभियान भी जारी है।
इस पर भी करीब 7 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। माइक्रो इरिगेशन फंड के आवंटन को भी दोगुना करके दस हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है। हमने क्रॉप लोन भी दोगुना कर दिया और इस वर्ष 16 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा।
अब पशुपालन और मछली पालन से जुड़े हमारे किसानों को भी किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ मिलना शुरू हो गया है। हमारी सरकार किसानों के हित में हर संभव कदम उठा रही है। लगातार एक के बाद एक नए कदम उठाती जा रही है। किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरे, उनकी सामाजिक स्थिति मजबूत हो, इसके लिए पूरी ईमानदारी से काम हो रहा है।
किसानों की स्थिति को सुधारने के इसी महाअभियान में देश में 3 कृषि कानून लाए गए थे। मकसद ये था कि देश के किसानों को खासकर छोटे किसानों को और ताकत मिले। उन्हें अपनी उपज की सही कीमत और उपज बेचने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिले। वर्षों से यह मांग देश के किसान, देश के कृषि विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री, किसान संगठन लगातार कर रहे थे।
पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन भी किया था। इस बार भी संसद में इस पर चर्चा हुई, मंथन हुआ और ये कानून लाए गए। देश के कोने-कोने में कोटि-कोटि किसानों ने, अनेक किसान संगठनों ने इसका स्वागत और समर्थन किया। मैं आज उन सभी का बहुत-बहुत आभारी हूं। धन्यवाद देना चाहता हूं।
साथियो, हमारी सरकार किसानों के कल्याण के लिए खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गांव-गरीब के उज्ज्वल भविष्य के लिए पूरी सत्यनिष्ठा से, किसानों के प्रति पूर्ण समर्पण भाव से और नेक नीयत से यह कानून लेकर आई थी लेकिन इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध किसानों के हित की बात हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। भले ही किसानों का एक वर्ग ही विरोध कर रहा था लेकिन फिर भी ये हमारे लिए महत्वपूर्ण था।
कृषि अर्थशास्त्रियों, वैज्ञानिकों और प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें समझाने का भरपूर प्रयास किया। हम पूरी विनम्रता से, खुले मन से उन्हें समझाते रहे। अनेक माध्यमों से व्यक्तिगत और सामूहिक बातचीत भी होती रही। हमने किसानों की बातों और उनके तर्क को समझने में भी कोई कसर बाकी नहीं रखी। जिन प्रावधानों पर ऐतराज था, सरकार उन्हें बदलने के लिए भी तैयार हो गई। दो साल तक हमने इन कानूनों को सस्पेंड करने का भी प्रस्ताव दिया। मामला सुप्रीम कोर्ट भी चला गया। ये सारी बातें देश के सामने हैं।
मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए सच्चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही हुई होगी जिसके कारण दीये के प्रकाश जैसा सत्य कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए। आज गुरुनानक देव जी का पवित्र प्रकाश पर्व है। यह समय किसी को भी दोष देने का नहीं है। आज मैं आपको, पूरे देश को ये बताने आया हूं कि हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है।
इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में हम तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी करेंगे।...एमएसपी को और अधिक कारगर, प्रभावी बनाने के लिए एक कमिटी का गठन किया जाएगा। इसमें केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे, किसान, कृषि वैज्ञानिक और एक्सपर्ट होंगे। मैं गुरु गोविंद सिंह जी की भावना में अपनी बात समाप्त करूंगा- देहि शिवा वर मोहि इहै, शुभ करमन ते कबहूं न टरूं।’
---------------
पवित्र गुरु पर्व और करतारपुर साहिब कॉरिडोर के फिर से खुलने पर देश को बधाई दी
Quote“आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है; इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे”
Quote"जब मुझे 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने का अवसर मिला, तो हमने कृषि विकास और किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी"
Quote“हमने न केवल एमएसपी में वृद्धि की, बल्कि रिकॉर्ड संख्या में सरकारी खरीद केंद्र भी बनाए; हमारी सरकार द्वारा की गई उपज की खरीद ने पिछले कई दशकों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं”
Quote"तीनों कृषि कानूनों का मकसद यह था कि देश के किसानों को, खासकर छोटे किसानों को और ताकत मिले, उन्हें अपनी उपज की सही कीमत और उपज बेचने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिले"
Quote"ये कानून पूरी सत्य निष्ठा, किसानों के प्रति समर्पण भाव और नेक नीयत से, विशेष रूप से छोटे किसानों के कल्याण के लिए, कृषि क्षेत्र के हित में व 'गांव-गरीब' के उज्ज्वल भविष्य के लिए लाए गए थे"
Quote"लेकिन इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए; कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया”
Quote“जीरो बजट खेती यानि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, देश की बदलती आवश्यताओं के अनुसार क्रॉप पैटर्न को बदलने और एमएसपी को और प्रभावी तथा पारदर्शी बनाने के लिए एक कमेटी के गठन की घोषणा की; कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे, किसान होंगे, कृषि वैज्ञानिक होंगे, कृषि अर्थशास्त्री होंगे”
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से देश को संबोधित किया।
राष्ट्र को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने गुरु नानक जयंती के अवसर पर लोगों को बधाई दी। उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि डेढ़ साल के अंतराल के बाद करतारपुर साहिब कॉरिडोर अब फिर से खुल गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “अपने पांच दशक के सार्वजनिक जीवन में मैंने किसानों की चुनौतियों को बहुत करीब से देखा है। इसीलिये, जब देश ने मुझे 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में सेवा का अवसर दिया, तो हमने कृषि विकास, किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के किसानों की हालत सुधारने के लिये हमने बीज, बीमा, बाजार और बचत, इन सभी पर चौतरफा काम किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने बेहतर किस्म के बीज के साथ ही नीम कोटेड यूरिया, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, सूक्ष्म सिंचाई जैसी सुविधाओं से भी किसानों को जोड़ा।
प्रधानमंत्री ने बताया कि किसानों को उनकी मेहनत के बदले उपज की सही कीमत मिले, इसके लिये भी अनेक कदम उठाये गये हैं। देश ने अपने ग्रामीण बाजार अवसंरचना को मजबूत किया है। उन्होंने कहा, “हमने न्यूनतम समर्थन मूल्य तो बढ़ाया ही, अपितु रिकॉर्ड सरकारी खरीद केंद्र भी बनाये। हमारी सरकार द्वारा की गई उपज की खरीद ने पिछले कई दशकों के रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों की स्थिति को सुधारने के इसी महा-अभियान में देश में तीन कृषि कानून लाये गये थे। इसका मकसद यह था कि किसानों को, खासकर छोटे किसानों को, और ताकत मिले, उन्हें अपनी उपज की सही कीमत तथा उपज बेचने के लिये ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिलें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्षों से यह मांग देश के किसान, कृषि विशेषज्ञ और किसान संगठन लगातार करते रहे हैं। पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया है। इस बार भी संसद में चर्चा हुई, मंथन हुआ और ये कानून लाये गये। देश के कोने-कोने में, अनेक किसान संगठनों ने इसका स्वागत किया और समर्थन दिया। प्रधानमंत्री ने इस कदम का समर्थन करने के लिये संगठनों, किसानों और लोगों को आभार व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गांव गरीब के उज्जवल भविष्य के लिए, पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी।’’
उन्होंने आगे कहा, "इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।"
पवित्र गुरुपर्व के वातावरण में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन किसी को दोष देने का नहीं है, किसानों के कल्याण के लिए काम करने के लिए स्वयं को समर्पित करने का दिन है। उन्होंने कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की घोषणा की।
उन्होंने शून्य बजट आधारित कृषि को बढ़ावा देने, देश की बदलती जरूरतों के अनुसार फसल पैटर्न बदलने और एमएसपी को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की। समिति में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि अर्थशास्त्रियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें