कांग्रेस कमीशनखोरी पर पर्दा डाले रखने के लिये ही उछल कूद कर रही थी - अरविन्द सिसोदिया
- अरविन्द सिसोदिया
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कांग्रेस जिस जिन्न को बोतल में बंद रखना चाहती थी, वह आखिर बोतल से बाहर आ गया है।
रॉफेल लडाकू विमान के सौदे को लेकर कांग्रेस की अनावश्यक उझलकूद का हेतु अब समझ में आ गया है। क्यों कि 2014 में कांग्रेस की सरकार जाते ही 2007 से 2012 तक लिया गया कमीशन का भेद खुलनें की आशंका से कांग्रेस पीढ़ित थी । कांग्रेस ने भेद खुलनें से पहले ही हल्ला इसलिये मचाया कि भेद पर पर्दा पडा रहे, यदि भेद खुले भी तो कह देंगे कि हम जांच की मांग कर रहे थे इसलिये दोष भी हम पर ही मढ़ दिया गया है। जब चोर के पकड़े जाने की संभावना होती है तो वह इसी तरह के वे सिरपैर के तर्क आजमाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा किये गये राफेल सौदे का प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय में गया था और वहां से उसे क्लिन चिट मिली थी। इसलिये मोदी जी के कार्यकाल में हुए सौदे पर तो कोई उंगली उठ ही नहीं सकती। कांग्रेस कार्यकाल में हुई इस कमीशन खोरी से जुड़ा व्यक्ति जो बिचौलिया या दलाल कहलाता है वह वही व्यक्ति है। जो कांग्रेस शासन में हुए अगस्ता वेस्टलैंड केस में भी वह कमीशन एजेंट था।
कांग्रेस की सरकार बनीं रहती तो यह बहुत बडी कमीशनखोरी होती और इसका लाभ कांग्रेस के आका ही उठा रहे होते और सरकार जाने के बाद उनकी उछल कूद कहीं न कहीं इस सौदे से जुड़ी उत्पादनकर्ता कंपनी से कुछ वसूली की भी रही होगी। कांग्रेस उस समय भी इस सौदे को किसी भी तरह फैल करने की सीमा तक गई थी क्यों कि उसे मिलने वाला बहुत बडा कमीशन अचानक सरकार बदलने से शून्य हो गया था।
फ्रांसीसी मैगजीन की रिपोर्ट में रिश्वत/कमीशन देने का नया दावा सामने आया है-
भारत के साथ राफेल सौदे के संबंध में फ्रांसीसी खोजी पत्रिका 'मीडियापार्ट' ने गोपनीय रूप से रिश्वत/कमीशन दिए जाने का नया दावा किया है। पत्रिका ने दावा किया है कि फ्रांसीसी विमान निर्माता कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने भारत से यह सौदा हासिल करने में मदद के लिए एक बिचौलिये को गोपनीय रूप से करीब 7.5 मिलियन यूरो का भुगतान किया। दसॉल्ट कंपनी को इस घूस की राशि देने में सक्षम बनाने के लिए कथित रूप से फर्जी बिलों का इस्तेमाल किया गया।
एग्रीमेंट ऑफ कमीशन का कंटेंट हैरान करने वाला
पात्रा ने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में हमने कमिशन ऑफ परचेज तो नहीं देखा लेकिन कमिशन ऑफ एग्रीमेंट जरूर देख लिया। पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी इटली से जवाब दें। पात्रा ने कहा कि इस एग्रीमेंट में 40 प्रतिशत कमीशन की बात कही गई है। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि 2019 के चुनाव से पहले कांग्रेस और बाकी विपक्षी दलों ने राफेल को लेकर जमकर माहौल बनाया था। उनको लगता था कि इससे चुनावी फायदा होगी, लेकिन देश ने देखा कि हुआ क्या है।
राफेल घोटाले की सच्चाई सामने आई
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि घोटाला कांग्रेस कार्यकाल में हुआ यह सच्चाई उजागर हुई है। उन्होंने कहा कि यह पूरा मामला 2007 से 2012 के बीच हुआ है। पात्रा ने कहा कि इस सौदे में दलाल का नाम सामने आ गया है। दलाल का नाम एसएम गुप्ता बताया गया है। उन्होंने कहा कि इस व्यक्ति का नाम अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में भी था। गुप्ता घूसखोरी का पुराना खिलाड़ी है। अगस्ता वेस्टलैंड केस में भी वह कमीशन एजेंट था।
अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला
फरवरी 2010 में यूपीए सरकार ने ब्रिटिश-इटैलियन कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड के साथ वीवीआईपी हेलीकॉप्टर की खरीद के लिए एक सौदा किया था। इस सौदे के तहत वायुसेना के लिए 12 हेलिकॉप्टर खरीदे जाने थे। इनमें से आठ का इस्तेमाल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य वीवीआईपी हस्तियों की उड़ान के लिए किया जाना था। बाकी चार हेलिकॉप्टर एक साथ 30 एसपीजी कमांडो को ले ले जाने की क्षमता रखते थे। इस सौदे की कीमत 3600 करोड़ रुपये तय हुई थी। लेकिन, कांग्रेस कार्यकाल / जनवरी 2014 में कॉन्ट्रैक्ट की शर्तें पूरी न होने और 360 करोड़ रुपये के कमीशन का भुगतान करने के आरोपों के बाद भारत की ओर से यह सौदा रद्द कर दिया गया था। जब करार को रद्द करने का आदेश जारी हुआ, उस समय तक भारत सौदे की राशि का 30 फीसद भुगतान कर चुका था। साथ ही तीन अन्य हेलिकॉप्टर के लिए आगे के भुगतान की प्रक्रिया जारी थी।
विवाद सामने आने पर रक्षा मंत्रालय ने इस मामले की जांच सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) को सौंप दी। पूरे प्रकरण में पूर्व वायुसेना प्रमुख समेत कई अधिकारियों के नाम सामने आए थे। यह घोटाला तब ज्यादा चर्चा में आ गया जब स्थानीय पुलिस ने इटली के एयरोस्पेस और डिफेंस निर्माण से जुड़ी कंपनी फिनमेकानिका के पूर्व प्रमुख ओरसी को गिरफ्तार किया।
अदालत ने फिनमेकानिका कंपनी को दोषी पाया और फिनमेकानिका की अधीनस्थ कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड के पूर्व सीईओ ब्रूनो स्पैगनोलिनि को चार साल छह महीने की सजा सुनाई। ओरसी पर भारत सरकार से वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों के इस सौदे को हासिल करने के लिए कथित तौर पर 362 करोड़ रुपए की रिश्वत देने का आरोप लगा था।
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भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने आगे कहा, 'INC का अर्थ इंडियन नेशनल कांग्रेस नहीं बल्कि आई नीड कमीशन है। बिना कमीशन के कुछ नहीं करते। सोनिया गांधी कहती हैं आई नीड कमीशन। राहुल बोलते हैं आई नीड कमीशन। प्रियंका कहती हैं आई नीड कमीशन। रॉबर्ड वाड्रा कहते हैं आई नीड कमीशन। ये सिलसिला आज का नहीं है। जबसे कांग्रेस पार्टी है तबसे आई नीड कमीशन है। जीप घोटाला, बोफोर्स घोटाला, एयरबस घोटाला, सबमरीन घोटाला, हेलीकॉप्टर घोटाला, टेट्रा ट्रक घोटाला, जहां कमीशन वहां कांग्रेस।'
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, 'बिना कमीशन हिंदुस्तान की सुरक्षा के लिए कोई डील कांग्रेस के काल में नहीं हो सकती। यूपीए के कार्यकाल में हल डील के अंदर एक डील होती थी और फिर भी डील नहीं हो पाती थी। 65 करोड़ रुपये कमीशन लेने के बाद भी यह जो नेगोसिएशन हो रही थी वह पूरी नहीं हो सकी क्योंकि इतने में यह परिवार संतुष्ठ नहीं था।' संबित ने कहा, 'कौन कहता है कि भ्रष्टाचार का कोई पता नहीं है? भ्रष्टाचार का पता है 10 जनपथ। जबसे भाजपा की सरकार आई है, भ्रष्टाचार बेघर हो गया है, और गांधी परिवार बेबस हो गया है। उस बेबसी का आलम हमने कई बार देखा है। घोटाले एक नहीं कई हजार हो गए, रिश्वत के आंकड़े भी करोड़ों पार हो गए, जनता को लूटा कांग्रेस ने इस तरह की उनकी शर्म भी शर्मसार हो गई।'
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