अफगानिस्तान संकट को कांग्रेस गांधीवाद से हल करके दिखाये
उड़ता तीर
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वेद माथुर
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*अफगानिस्तान का संकट और कांग्रेस*
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*अफगानिस्तान पर आतंकवादी संगठन तालिबान के कब्जे से पूरी दुनिया की मानवता आतंकित है, विशेषकर वहां की महिलाओं की इज्जत आबरू और सुरक्षा तीनों खतरे में हैं*।
*अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के अफगानिस्तान में शांति के सारे प्रयास विफल हो चुके हैं। मेरा मानना है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस चाहे तो अफगानिस्तान में शांति स्थापित करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी धाक जमा सकती है*।
कांग्रेस के लिए मेरे कुछ सुझाव हैं :
1. कांग्रेस गांधीजी के सिद्धांतों के अनुरूप अहिंसा का संदेश लेकर निम्न सामान के साथ अपने हजारों कार्यकर्ताओं को तालिबानियों को समझाने के लिए अफगानिस्तान भेजें-
+ गांधी जी का साहित्य, विशेष कर उनकी पुस्तक 'सत्य के साथ मेरे प्रयोग'
+ खादी कातने के लिए चरखे...
+ झांझ-मंझीरे...
+ रघुपति राघव राजाराम, ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान.... गीत के कैसेट्स...
+ हजारों मोमबत्तियां ..
सफेद खादी के सफेद कुर्ते, पायजामे और टोपी पहने जब कांग्रेस के हजारों कार्यकर्ता अफगानिस्तान में घर-घर जाकर शांति और सद्भावना का संदेश देंगे, तो निश्चित रूप से तालिबानियों का हृदय परिवर्तन होगा।
यह कार्यकर्ता चरखे से खादी के कपड़े और टोपियां बनाकर तालिबान के आतंकवादियों को पहनाएं।
2. "भगवा आतंकवाद", "उग्रवादी हिंदुत्व", "सवर्ण फासिज़्म" जैसे कुछ शब्द बोलने वाले दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस के हजारों लाखों कार्यकर्ता अफगानिस्तान के कोने कोने में जाकर सांप्रदायिक सद्भाव की 'सुगंध' फैलाएं।
3. जावेद अख्तर की अगुवाई में अवॉर्ड वापसी गैंग के सभी सदस्य अफगानिस्तान जाकर तालिबानियों को धमकी दें कि यदि वे शांति के रास्ते पर नहीं आए तो वे सब अपने अवार्ड वापस कर देंगे।
4. *स्वरा भास्कर, कन्हैया लाल, राणा अयूब,आरफा खानम शेरवानी, सफूरा के नेतृत्व में हमारे देश के 'लिबरल' व 'सोशल एक्टिविस्टों' का एक एक दल अफगानिस्तान में तालिबान को लिबरल होने का पाठ पढ़ाएं*। *इनके कहने पर ग्रेटा,मियां खलीफा और मलाला भी अफगानिस्तान पहुँच जाएंगी*।
5. *आमिर खान किरण राव नसरुद्दीन शाह जैसे लोग तालिबानियों को जाकर समझाएं कि वह पहले भारत में डरे हुए थे* ,
*अब तालिबान के पावर में आ जाने के बाद उन्हें तो दुनिया में रहने से ही डर लग रहा है। यदि तालिबानी नहीं सुधरे तो वे दुनिया छोड़कर चले जाएंगे। हो सकता है इनकी अपील पर तालिबानी हिंसा का मार्ग छोड़ दें*।
*हमारे देश को भी भगत सिंह और सुभाषचंद्र बोस ने नहीं महात्मा गांधी और कांग्रेस ने चरखे,खादी और गीत-संगीत से आजाद कराया*।
*मेरी गारंटी है कि कांग्रेस अफगानिस्तान में गांधीजी के सिद्धांतों का प्रचार प्रसार कर के ही तालिबानियों को अहिंसा के मार्ग पर ला सकती है*।
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