वास्तविक "रघुपति राघव राजा राम " भजन Original "Raghupati Raghav Raja Ram" Bhajan

 


वास्तविक स्वरूप में भजन रघुपति राघव राजा राम को

 स्वामी लक्ष्मणाचार्य नें लिखा था जो कि निम्न प्रकार से है।


मूल  :

रघुपति राघव राजाराम। पतित पावन सीताराम।।
सुंदर विग्रह मेघाश्याम। गंगा तुलसी शालीग्राम।।
भद्रगिरीश्वर सीताराम। भगत-जनप्रिय सीताराम।।
जानकीरमणा सीताराम। जय जय राघव सीताराम।।

 ------------------------------

महात्मा गांधी गीता का एक श्लोक हमेशा कहा करते थे

 - अहिंसा परमो धर्मः, जबकि पूर्ण श्लोक इस प्रकार है:

अहिंसा परमो धर्मः।
धर्म हिंसा तदैव च ।।


अर्थात: अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है, किन्तु धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उससे भी श्रेष्ठ है।

वे श्रीराम का एक प्रसिद्ध भजन भी गाते थे:

रघुपति राघव राजाराम। पतित पावन सीताराम।।
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम। सब को सन्मति दे भगवान।।

आपको जानकर हैरानी होगी कि इसमें "अल्लाह" शब्द गांधीजी ने अपनी ओर से जोड़ा। इस भजन के असली जनक थे "पंडित लक्ष्मणाचार्य"। मूल भजन "श्री नमः रामनायनम" नामक हिन्दू ग्रंथ से लिया गया है जो इस प्रकार है:

रघुपति राघव राजाराम। पतित पावन सीताराम।।
सुंदर विग्रह मेघाश्याम। गंगा तुलसी शालीग्राम।।
भद्रगिरीश्वर सीताराम। भगत-जनप्रिय सीताराम।।
जानकीरमणा सीताराम। जय जय राघव सीताराम।।


सन १९४८ में एक फिल्म आयी थी - "श्री राम भक्त हनुमान"। उस फिल्म में भी इस भजन का मूल स्वरुप उपलब्ध है और उसमें कहीं भी "अल्लाह" शब्द नहीं आया है (आ भी नहीं सकता था)।

दुख की बात ये है कि बड़े-बड़े पंडित तथा वक्ता भी इस भजन को गलत गाते हैं, यहां तक कि मंदिरो में भी। हालांकि ये लेख किसी भी रूप में महात्मा गांधी के प्रति असम्मान प्रकट करने के लिए नही है पर किसी भी हिन्दू धर्मग्रंथ से इस प्रकार की छेड़छाड़ भी उचित नही है और हम सबको इसके प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है।
 

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इन्हे भी पढे़....

वक़्फ़ पर बहस में चुप रहा गाँधी परिवार, कांग्रेस से ईसाई - मुस्लिम दोनों नाराज

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

भाजपा की स्थापना, विकास और विस्तार

कविता "कोटि कोटि धन्यवाद मोदीजी,देश के उत्थान के लिए "

कविता - युग परिवर्तन करता हिंदुस्तान देखा है Have seen India changing era

आत्मा की इच्छा पूर्ति का साधन होता है शरीर - अरविन्द सिसोदिया

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान